దానశీలము కవి పరిచయం?
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कलि बारहिं बार दुकाल परै। बिनु अन्न दुखी सब लोग मरै॥5॥ कवियों के तो झुंड हो गए, पर दुनिया में उदार (कवियों का आश्रयदाता) सुनाई नहीं पड़ता।
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