CBSE BOARD X, asked by naitikkumawat04, 11 days ago

તકલીફ _______ (સમાનાથી શબ્દો લખો)​

Answers

Answered by llitzPikachull
3

Explanation:

Feeling down or unhappy in response to grief, discouragement or disappointment; if ongoing, may indicate depression.

Answered by Ristar
1

Answer:

नाते इसमें देश के विभिन्‍न भागों के लोग काम करते हैं। हिंदीतर भाषी स्‍टाफ-सदस्‍यों को बैंकिंग हिंदी सिखाना अपने आप में चुनौतीपूर्ण कार्य है क्‍योंकि इसके लिए बैंकिंग विषय और हिंदी भाषा दोनों की जानकारी आवश्‍यक है। हिंदी सीखने के लिए तो पुस्‍तकें उपलब्‍ध हैं, परंतु बैंकिंग हिंदी सीखने के लिए बाजार में पुस्‍तकों का अभाव है।

रिज़र्व बैंक में राजभाषा हिंदी के पचास वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में वर्ष 2015-16 को स्‍वर्ण जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया। स्‍वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रमों के अंतर्गत हैदराबाद में आयोजित संगोष्‍ठी में यह बात उभरकर आई कि हिंदी भाषा के शिक्षण के तरीकों में बदलाव करके क्षेत्रीय भाषाओं के माध्‍यम से बैंकिंग हिंदी की जानकारी दी जाए तो हिंदी सीखने में आसानी होगी। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए छह क्षेत्रीय भाषाओं यथा - तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्‍नड़, ओड़िया और बांग्ला - के माध्‍यम से बैंकिंग हिंदी सिखाने के लिए पाठ्य सामग्री तैयार की गई और मई 2016 में आयोजित स्‍वर्ण जयंती समारोह में माननीय गवर्नर महोदय द्वारा इनका विमोचन किया गया। वर्ष 2016-17 में असमीया तथा कोंकणी भाषा के माध्यम से बैंकिंग हिंदी सिखाने हेतु पुस्तकें तैयार की गईं।

इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए इस बीच ‘ख’ क्षेत्र की तीन और भाषाओं यथा – पंजाबी, गुजराती और मराठी - की पुस्‍तकें तैयार की गई हैं ताकि इन क्षेत्रों के स्‍टाफ-सदस्‍य को भी बैंकिंग हिंदी सीखने में आसानी हो सके।

आधुनिक प्रौद्योगिकी की सर्वव्‍यापकता और पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए इन्‍हें .epub के रूप में तैयार किया गया है ताकि आप सभी इसे कम्‍प्‍यूटर के साथ-साथ अपने मोबाइल में भी पढ़ सकें।

आशा है, हमारा यह प्रयास आपको पसंद आएगा और आप इन पुस्तकों का उपयोग करेंगे। मेरा पूरा विश्‍वास है कि बैंक में राजभाषा हिंदी का प्रयोग बढ़ाने की दिशा में ये पुस्‍तकें सहायक सिद्ध होंगी।

इन पुस्‍तकों को तैयार करने में लेखकों और हमारे राजभाषा अधिकारियों सहित बैंक के सामान्‍य संवर्ग के साथियों ने भी भरपूर सहयोग दिया है। इस पूरी योजना को राजभाषा विभाग के प्रभारी उप महाप्रबंधक काज़ी मु. ईसा और उनकी सक्रिय टीम ने - जिसमें उप महाप्रबंधक श्री लक्ष्‍मीनाथ उपाध्‍याय, सहायक महाप्रबंधक श्री नितीन देसाई और सहायक प्रबंधक श्री सतीश चंद शर्मा एवं श्री चमनलाल मीणा शामिल थे - कार्यान्वित किया है। इस योजना को समय पर पूरा करने के लिए पुस्‍तकों के लेखकों को धन्‍यवाद देती हूं।

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