0 प्र
दीजिए:-
फादर को ज़हरबाद से नही मरना चाहिए था। जिसकी रगों में दूसरों के लिए मिठास
भरे अमृत के अतिरिक्त और कुछ नहीं था उसके लिए इस जहर का विधान क्यों
हो? यह सवाल किस ईश्वर से पूछे? प्रभु की आस्था ही जिसका अस्तित्व था। वह देह
की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखिरी देहरी पर क्यों दे? एक लंबी पादरी के
सफेद चोगे से ढकी आकृति सामने है - गोरा रंग, सफेद झाई मारती भूरी दाढ़ी
नीली आँखे–बाँहे खोल गले लगाने को आतुर। इतनी ममता, इतना अपनत्व इस साधु
में अपने हर एक प्रियजन के लिए उमड़ता रहता था। मै पैंतीस साल से इसका साक्षी
था। तब भी वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे। आज उन
बाँहो का दबाव मैं अपनी छाती पर महसूस करता हूँ।
un dino lekhak khan rhta tha
a ilhabad
b delhi
c mumbai
d bnaras
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Answer:लेखक फादर कामिल बुल्के के बाँहें खोल गले लगाने के स्नेह को याद कर रहा है। वे लेखक के लिये बड़े भाई के समान थे। प्रश्न (क) फ़ादर को ज़हरबाद से क्यों नहीं मरना चाहिए था? उत्तरः फ़ादर को ज़हरबाद से इसलिए नहीं मरना चाहिए था, क्योंकि वह सबसे अमृत भरी मिठास से मिलते थे और उनके हृदय में दूसरों के लिए अपार प्रेम था।
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i think b)delhi is right answer
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