01ः-
01.
िनDिलिखत
गाश
को
Eान
प ं वूक
पढ़कर
प & छूे
गए
01<
के
उ?र
दीिजए-
{1
X
10=10}
िवMान<
का
यह
कथन
बPत
ठीक
है
िक
िवनRता
के
िबना
Sत2ता
का
कोई
अथ ं
नहU।
इस
बात
को
सब
लोग
मानत &
ह6
े
िक
आWसXार
क ं े
िलए
थोड़ी-बPत
मानिसक
Sत2ता
परमावZयक
है-
चाह ं
उस
Sत े 2ता
म3
अिभमान
और
नRता
दोन<
का
ं
मल
हो
और
चाह े े
वह
नRता
ही
स
उ\]
हो।
यह
बात
तो
िनि^त
है
िक
जो
मन े _
मया ु दाप & वूक
जीवन
`तीत
करना
चाहता
है
&
उसके
िलए
वह
गण
अिनवाय ु
है,
िजसस &
आWिनभ े रता
आती
है
और
िजसस &
अपन े
पैर<
क े े
बल
खड़ा
होना
आता
है।
यवा
को
ु
यह
सदा
aरण
रखना
चािहए
िक
वह
बPत
कम
बात3
जानता
है,
अपन
ही
आदश े
स&
वह
अपन े
बड़<
का
सbान
कर े े,
छोट<
और
बराबर
वाल<
स
कोमलता
का
`वहार
कर े े,
य
बात3
आWमया े दा
क & े
िलए
आवZयक
ह6।
यह
सारा
ससार,
जो
क ं ुछ
हम
ह6
और
जो
कुछ
हमारा
है-
हमारा
शरीर,
हमारी
आWा,
हमारे
भोग,
हमारे
घर
और
बाहर
की
दशा,
हमारे
बPत
स
अवग े ण
और
थोड़ ु
गे ण
ु
सब
इसी
बात
की
आवZयकता
0कट
करत
है
िक
हम3
अपनी
आWा
को
नR
रखना
चािहए।
नRता
स े
मे रा
अिभ0ाय
दc े पन
स ू े
नहU
है
िजसके
कारण
मन_
सर<
का
म ु ँह
ताकता
है
िजसस ु
उसका
स े कf
ीण
और
उसकी
0gा
म ं द
हो
जाती
हैः
िजसक ं े
कारण
आग
बढ़न े
के े
समय
भी
पीछे
रहता
है
और
अवसर
पड़न
पर
चट-पट
िकसी
बात
का
िनण े य
नहU
कर
सकता।
मन & _
का
ु
बड़ा
उसक े े
अपन
ही
हाथ
म3
है,
उस े
वह
चाह े
िजधर
ल े े
जाए।
सhी
आWा
वही
है
जो
0iक
दशा
म3
0i े क
िjित
क े े
बीच
अपनी
राह
आप
िनकालती
है।
{क}
िवनRता
और
Sत2ता
का
परkर
lा
स ं बं ध
है
?
ं
{ख}
मयादाप & वूक
जीवन
जीन &
के े
िलए
िकन
गण<
की
आवZयकता
है
?
ु
{ग}
नRता
और
दcपन
म3
lा
अ ू तर
है
?
ं
{घ}
गाश
म3
य ं वाओु
को
िकस
सhाई
स ं
पिरिचत
कराया
गया
है
?
े
{ड.}
’परमावZयक’
और
’0iक’
का
स े िध-िवp ं ेद
कीिजए।
{च}
गाश
का
उपय ं q
शीष ु क
िलिखए।
&
{छ}
Sत2
एव ं
अिभमान
क ं े
िवलोम
शs
िलिखए।
{ज}
आकाा
एव ं
नRता
शs<
क ं े
अथ
िलिखए।
&
{झ}
चट-पट
िकसी
बात
का
िनणय
ल& ेना
एव
मं ह
ताकना
का
वाl
म3
0योग
कीिजए।
ॅु
{ञ}
आWिनभरता
का
अथ &
kw
कीिजए।
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Stdhftdgutdjfyddvyeyftdb8t❓
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