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प्र0 19 निम्नलिखित अपठित गद्यांश का पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
हमें स्वराज्य अवश्य मिला परन्तु सुराज आज भी हमसे दूर है। कारण स्पष्ट है, देश को समृद्ध
बनाने उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना न हम ने सीखा है, न सीखने के लिए ईमानदारी से उस
ओर उन्मुख ही है। श्रम का महत्व न हो हम जानते है, न मानते है। हमारी नस-नस में आराम तलवी
समाई है। हाथ से काम करने को हीनता समझते है। काचोरी के हमारा नाता बना है। कम से कम
काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृति राष्ट्र की आत्मा में घर कर गई है।
प्र01 उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
प्र02 'सुराज ' हमसे दूर क्यों है ?
लेखक ने किस दूषित मनोवृति की ओर संकेत किया है ?
स्वराज्य सुराज में कब परिणित होगा?
प्र03
प्र04
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- शीर्षक :-श्रम का महत्व
- क्योंकि हमने देश को समृद्ध बनाने के लिए कठोर परिश्रम अभी तक भी नहीं सीखा है
- कम से कम काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृति को खत्म करने की ओर संकेत किया है
- जब व्यक्ति स्वयं कठोर परिश्रम करके अपने उद्देश्य को पा सके
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