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प्र019 निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी माँगने आया हमने वह दोनों
चिटें उसे दे दीं। शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में पहुंच गए। यहाँ भी
सुमति के जान पहचान के आदमी थे और भिख मंगे रीते भी ठहरने अच्छी जगह मिली। पाँच साल
बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं एक भद्र यात्री के वेश में घोड़ा पर सवार होकर
आए थे, किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी, और हम गाँव के एक सबसे
गरीब झोपड़े में ठहरे थे।
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प्रश्न 19दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या नीचे की गई है।
संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां गद्य " लहासा की ओर " पाठ से ली गई है। लेखक राहुल ने इस गद्य में अपनी तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है। उन्होंने तिब्बत की यात्रा 1929- 30 में नेपाल के रास्ते से थी। उस वक्त भारतीयों को तिब्बत जाने वाले अनुमति नहीं थी, इस कारण वे भिखारी के वेश में गए थे।
व्याख्या - लेखक सुमति के साथ भीखमंगे के वेश में थोइला के गांव पहुंचे। उस वक्त लोग जात पात नहीं देखते थे। स्त्रियों में पर्दा प्रथा भी नहीं थी। भिखमंगो पर लोग दया करते थे परन्तु चोरों से डरते थे। जब लेखक भिखारी के वेश में गए तब उन्हें रहने के लिए अच्छी जगह मिली।
पांच वर्ष बाद जब लेखक फिर तिब्बत गए , तब वे सज्जन वेश में गए तब डर के कारण लोगों ने उन्हें एक झोपड़ी में रहने वाले जगह दी। लेखक इस बात से हैरान थे कि पांच वर्ष पूर्व भिखारी बनकर आने पर अच्छी जगह रहने के लिए मिली तथा अब सज्जन इंसान को रहने के लिए झोपड़ी दी गई है