Hindi, asked by dhanirambhalwal, 3 days ago

0846CH14 UF GE 14 अकबरी लोटा लाला झाऊलाल को खाने-पीने की कमी नहीं थी। काशी के ठठेरी बाज़ार में मकान था। नीचे की दुकानों से एक सौ रुपये मासिक के करीब किराया उतर आता था। अच्छा खाते थे, अच्छा पहनते थे, पर ढाई सौ रुपये तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते थे। इसलिए जब उनकी पत्नी ने एक दिन एकाएक ढाई सौ रुपये की माँग पेश की, तब उनका जी एक बार जोर से सनसनाया और फिर बैठ गया। उनकी यह दशा देखकर पत्नी ने कहा-“डरिए मत, आप देने में असमर्थ हों तो मैं अपने भाई से माँग लूँ?is ma kriya vishan batao​

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Answered by shubhamvashishtha23
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