Social Sciences, asked by pk5960076, 5 months ago



- 09 अर्थ लिखिए-
पुस्तकस्या तु या विद्या परहस्तगतं धनम्
कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनस्य देहिनः
अकुलीनोअपि विद्यावानं; देवैरपि स​

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Answered by jaat8860
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Answer:

पुस्तक में रखी विद्या तथा दूसरे के हाथ में गया धन—ये दोनों ही ज़रूरत के समय हमारे किसी भी काम नहीं आया करते

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