1.01 परिवार का महत्व विषय पर पिता और पुत्र के बीच
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पिता :- आजकल के बच्चे परिवार का महत्व भूलते जा रहे हैं।
पुत्र:-ऐसी बात नहीं है पिताजी। सारे बच्चे एक से नहीं होते।
पिता:-आज की युवा पीढ़ी दोस्तों को ही अपना शुभचिंतक मानती है और परिवार उसके लिए मायने नहीं रखते। इसलिए आज के बच्चे गुमराह भी बहुत जल्दी हो जाते हैं क्योंकि उनमें परिवार के नैतिक मूल्य नहीं होते।
पुत्र:-हां, कुछ एक के साथ ऐसा होता है लेकिन सब एक से नहीं होते। इसमें कुछ दोष परिवार वालों का भी होता है।
पिता :-परिवार वालों का, कैसे?
पुत्र:-क्योंकि परिवार वाले अपने बच्चे को और उसकी इच्छा को दरकिनार कर अपने विचार उन पर थोपते हैं। वे अपने बच्चों को नहीं समझते।
पिता:-वे मात्र उनकी भलाई चाहते हैं।
पुत्र:- नहीं, वे केवल आदेशपाल चाहते हैं।
पिता:- परिवार सदा बच्चों की भलाई चाहता है।परिवार के सदस्य अपना अनुभव बांटतें है। वह केवल यह चाहते हैं कि बच्चे सही मार्ग पर चलें और उनकी भलाई हो।
पुत्र:-आप सही कहते हैं पिताजी, शायद हम बच्चे ही परिवार को नहीं समझ सकते हैं। सच में जिस परिवार ने हमें अंगुली थाम कर चलना सिखाया हो वह कभी हमारा अहित नहीं चाह सकता ।