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भारत का ऐतिहासिक मंगलयान कब रवाना किया गया?
2. भारत का प्रथम मंगलयान कहां से और किस समय रवाना किया गया?
3. भारत के प्रथम मंगल अभियान को क्या नाम दिया गया है?
भारत के मार्स आर्बिटर मिशन को किस यान से छोड़ा गया है?
भारत के एम ओएम ने कितने समय बाद अपनी पहली चुनौती पार की थी?
भारत का प्रथम एमओएम किस रंग का है तथा यह धरती की परिक्रमा
कितने दिन करेगा
भारत का प्रथम मंगलयान पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर मंगल की ओर कब बढ़ा था?
भारत के प्रथम मंगलयान का वजन कुल कितना है?
यह उपग्रह कितने दिनों की यात्रा के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचेगा?
10. भारत का प्रथम मंगलयान कब तक लक्ष्य प्राप्त करेगा?
11. मंगल ग्रह तक पहंचने के लिए भारतीय यान को कितनी दूरी तय करनी होगी
12. भारत से पूर्व अब तक कितने देशों ने सफल मंगल अभियान किया है?
13. अब तक किन देशों के मंगल अभियानों को सफलता हाथ लगी है?
14. अब तक मंगल के लिए कुल कितने अभियान हो चुके हैं?
15. अब तक के कुल सफल मंगल अभियान कितने हैं?
16. भारत के मंगल अभियान की कुल लागत क्या है?
17. इसरो के मंगल अभियान के प्रमुख लक्ष्य क्या है?
18. इसरो ने अपने अभियान में कितने स्वदेशी उपकरणों को भेजा है?
19. इसरो ने अपने मंगल उपग्रह पर नज़र रखने के लिए कहां-कहां निगरानी स्थल बनाए हैं?
20. इसरो ने प्रशांत महासागर में किसे ट्रेकिंग के काम में लगाया है?
21. नालंदा तथा यमुना कहां स्थित है?
22. भारतीय मंगल अभियान को केंद्रीय अनुमति कब मिली थी।
28. डॉ. मनमोहन सिंह ने मंगल अभियान की घोषणा कब की थी?
24. पीएसएलवी रॉकेट से अलग होने के बाद मंगलयान ने धरती के कितने चक्कर
लगाए थे
Answers
Answer:
मंगलयान, (औपचारिक नाम- मंगल कक्षित्र मिशन, अंग्रेज़ी: Mars Orbiter Mission; मार्स ऑर्बिटर मिशन), भारत का प्रथम मंगल अभियान है। यह भारत की प्रथम ग्रहों के बीच का मिशन है। वस्तुत: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया।
मंगल कक्षित्र मिशन
Mars Orbiter Mission
भारतीय मंगलयान : कलाकार की अवधारणा
भारतीय मंगलयान : कलाकार की अवधारणा
संचालक (ऑपरेटर)
इसरो
कोस्पर आईडी
2013-060A
सैटकैट नं॰
39370
वेबसाइट
मार्स ऑर्बिटर मिशन
मिशन अवधि
योजना: 6 महीने [1]
गुजरे:2 साल, 9 महीने, 30 दिन (04/09/16 के अनुसार)
अंतरिक्ष यान के गुण
बस
आई-2के
निर्माता
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन उपग्रह केन्द्र
लॉन्च वजन
1,337.2 कि॰ग्राम (2,948 पौंड)[2]
BOL वजन
≈550 कि॰ग्राम (1,210 पौंड)
शुष्क वजन
482.5 कि॰ग्राम (1,064 पौंड)[2]
पेलोड वजन
13.4 कि॰ग्राम (30 पौंड)[3]
आकार-प्रकार
1.5 मी॰ (4.9 फीट) घन
ऊर्जा
840 वाट सौर सेल[4]
मिशन का आरंभ
प्रक्षेपण तिथि
5 नवंबर 2013, 09:08 यु.टी. सी[5]
रॉकेट
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल सी25 [6]
प्रक्षेपण स्थल
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
ठेकेदार
इसरो
कक्षीय मापदण्ड
निर्देश प्रणाली
मंगलकेंद्रिक
परिधि (पेरीएपसिस)
377 कि॰मी॰ (234 मील)
उपसौर (एपोएपसिस)
80,000 कि॰मी॰ (50,000 मील)
झुकाव
17.864 डिग्री[7]
मंगल कक्षीयान
कक्षीय निवेशन
24 सितम्बर 2014 02:00 यु.टी. सी[8]
कक्षा मापदंड
निकट दूरी बिंदु
421.7 कि॰मी॰ (262.0 मील)[9]
दूर दूरी बिंदु
76,993.6 कि॰मी॰ (47,841.6 मील)[9]
झुकाव
150.0° [9]
उपकरण
मीथेन सेंसर, थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर, मार्स कलर कैमरा, लमेन अल्फा फोटोमीटर, मंगल बहिर्मंडल उदासीन संरचना विश्लेषक
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मंगल ग्रह के लिए भारतीय मिशनों
मंगलयान-2 →
इसके साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं। वैसे अब तक मंगल को जानने के लिये शुरू किये गये दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं परन्तु 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुँचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है। भारत एशिया का भी ऐसा करने वाला प्रथम पहला देश बन गया। क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे। [10][11]
वस्तुतः यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना है जिसका लक्ष्य अन्तरग्रहीय अन्तरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन का विकास करना है।[12] ऑर्बिटर अपने पांच उपकरणों के साथ मंगल की परिक्रमा करता रहेगा तथा वैज्ञानिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आंकड़े व तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा।[10] अंतरिक्ष यान पर वर्तमान में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक),बंगलौर के अंतरिक्षयान नियंत्रण केंद्र से भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना की सहायता से नजर रखी जा रही मंगलयान मिशन की लागत ₹ 450 करोड़ रुपए आई थी[13]
प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने मंगलयान को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया।सन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला मंगलयान मिशन की अवधारणा 2008 में चंद्र उपग्रह चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण के बाद अंतरिक्ष विज्ञान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा 2010 में एक व्यवहार्यता अध्ययन के साथ शुरू हुआ। भारत सरकार ने परियोजना को 3 अगस्त 2012 में मंजूरी दी। [14] इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 125 करोड़ रुपये (19$ मिलियन) के ऑर्बिटर के लिए आवश्यक अध्ययन पूरा किया। परियोजना की कुल लागत 454 करोड़ रुपये (67$ मिलियन) हुई। [15]
अंतरिक्ष एजेंसी ने 28 अक्तूबर 2013 लांच की योजना बनाई। लेकिन प्रशांत महासागर में खराब मौसम के कारण इसरो के अंतरिक्ष यान ट्रैकिंग जहाजों को पहुंचने में देरी हुई। जिससे अभियान को 5 नवंबर 2013 तक स्थगित कर दिया गया था। ईंधन की बचत के लिए होहमान्न स्थानांतरण कक्षा में लांच के अवसर हर 26 महीने घटित होते हैं। इस मामले में यह 2013, 2016 और 2018 में लॉन्च विंडोज़ है।[16]
पीएसएलवी-एक्सएल लांच सी25 वाहन को जोड़ने का कार्य 5 अगस्त 2013 को शुरू हुआ। मंगलयान को वाहन के साथ जोड़ने के लिए 2 अक्टूबर 2013 को श्रीहरिकोटा भेज दिया गया। उपग्रह के विकास को तेजी से रिकार्ड 15 महीने में पूरा किया गया। अमेरिका की संघीय सरकार के बंद के बावजूद, नासा ने 5 अक्टूबर 2013 को मिशन के लिए संचार और नेविगेशन समर्थन प्रदान करने की पुष्टि की। 30 सितंबर 2014 को एक बैठक के दौरान, नासा और इसरो के अधिकारियों ने मंगल ग्रह के भविष्य के संयुक्त मिशन के लिए मार्ग स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। तथा दोनों देशों ने मंगलयान और मेवेन अंतरिक्ष यानो के आंकड़े को साझा करेने का फैसला किया। [17]