1 (1) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए- O (क) श्रम की आवश्यकता O (ख) श्रम के दुष्परिणाम O (ग) महात्मा गाँधी O (घ) गाँधी आश्रम
Answers
Answer:
Mahatma Gandhi
hope it helped u
महत्मा गांधी अपना काम अपने हाथ से करने पर बल देते थे। वे प्रत्येक आश्रम वासी से आशा करते थे कि वह अपने शरीर से सम्बन्धित प्रत्येक कार्य सफाई तक वह स्वयं करेगा।उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करता है , वह पाप करता है और पाप का अन्न खाता है । ऋषि मुनियों ने कहा है - बिना श्रम किए जो भोजन करता है वह वस्तुत चोर है ।उनका समस्त अर्थशास्त्र यही बताता था कि प्रत्येक उपभोक्ता को उत्पादन कर्ता होना चाहिए।उनकी नीतियों का उपयोग करने का परिणाम हम आज भी भोग रहे है।न गरीबी काम होने में आती है न बेरोजगारी पर नियंत्रण हो का रहा है और न अपराधों में वृद्धि को रोकना हमारे वश की बात हो रही है।दक्षिण कोरिया वासियों ने श्रम दान करके ऐसे श्रेष्ठ भवनों का निर्माण किया है, जिनसे किसी को भी ईर्ष्या हो सकती है।
- 1) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए-
(क) श्रम की आवश्यकता
(ख) श्रम के दुष्परिणाम
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) गाँधी आश्रम
- दिए गए गद्यांश का उचित शीर्षक होगा - श्रम की आवश्यकता ।
विकल्प ( क) सही विकल्प है।
- 2) श्रम के बारे में गांधीजी के विचार क्या थे?
श्रम के बारे में गांधीजी का यह विचार था कि
जो व्यक्ति श्रम किए बिना भोजन करता है वह
पाप करता है तथा पाप का अन्न खाता है।
गांधीजी अपने हाथो से मेरी करने पर हमेशा
जोर दिया करते थे। वे चाहते थे कि आश्रम का
भी हर व्यक्ति अपना हर कार्य स्वयं करे, सफाई
तक भी वे स्वयं अपना सारा काम करते थे यहां
तक कि शौचालय भी साफ किया करते थे।
- 3) ऋषि मुनियों ने क्या कहा है ?
ऋषि मुनियों ने कहा है कि बिना श्रम किए जो
भोजन करता है वह चोर है।
- 4) दक्षिण कोरिया वासियों ने क्या किया है?
दक्षिण कोरिया वासियों ने श्रम दान करके
ऐसे भवनों का निर्माण किया है जिनसे किसी
को भी ईर्ष्या हो सकती है।
#SPJ2
संबंधित प्रश्न
https://brainly.in/question/35011586
https://brainly.in/question/37398003