1.
2.
नारा हातहासका प्रासागकता क सम्बन्ध म साक्षप्त विवरण दीजिए।
'ग्राम वार्ता प्रकाशिका' एक असाधारण पत्रिका थी, कथन का आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
नील विद्रोह के संबंध में समकालीन शिक्षित बंगाली समाज के दृष्टिकोण का वर्णन कीजिए।
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भास संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध नाटककार थे जिनके जीवनकाल अधिक पता नहीं है। स्वप्नवासवदत्ता उनके द्वारा लिखित सबसे चर्चित नाटक है जिसमें एक राजा के अपने रानी के प्रति अविरहनीय प्रेम और पुनर्मिलन की कहानी है। कालिदास जो गुप्तकालीन समझे जाते हैं, ने भास का नाम अपने नाटक में लिया है, जिससे लगता है कि वो गुप्तकाल से पहले रहे होंगे पर इससे भी उनके जीवनकाल का अधिक ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आज कई नाटकों में उनका नाम लेखक के रूप में उल्लिखित है पर १९१२ में त्रिवेंद्रम में गणपति शास्त्री ने नाटकों की लेखन शैली में समानता देखकर उन्हें भास-लिखित बताया। इससे पहले भास का नाम संस्कृत नाटककार के रूप में विस्मृत हो गया था।
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