1.20. भारत अमेरिकी संबंधो का विश्लेषण कीजिए।
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परिचय
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत न तो वास्तव में दोस्त हैं और न ही दुश्मन। दोनों देशों के बीच संबंधों में लगातार उतार-चढ़ाव आया है, जो भारत के तटस्थ एन.ए.एम रुख से शुरू होकर कोल्ड वार के दौरान अलग-अलग रास्तों तक और अंतत: रणनीतिक अभिसरण के वर्तमान समय तक चला आया है।1 21 वीं शताब्दी में, भारत अमेरिकी भूराजनीति और वैश्विक रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच बढ़ते संबंधों को "21 वीं शताब्दी की एक परिभाषित साझेदारी" के रूप में देखा जा सकता है।2 यह साझेदारी अमेरिका में बढ़ती भारत की सॉफ्ट पॉवर के रूप में और भी मजबूत हो गई है। जैसा कि जॉन अर्किला ने बिलकुल सही कहा था, कि वर्तमान के वैश्विक युग में विजय ज़्यादातर इस बात पर निर्भर करती है कि किसकी कहानी जीतती है, ना कि इस बात पर की किसकी सेना जीतती है। इस दावे को 1990 में जोसेफ जी नी अपनी “बाउंड टू लीड: द चैलेंजिंग नेचर ऑफ अमेरिकन पॉवर” नामक किताब में “सॉफ्ट पॉवर” की अवधारणा के माध्यम से उद्घृत किया था।3 सॉफ्ट पॉवर किसी देश की आकर्षण और सहयोग के माध्यम से और ना कि जबरदस्ती से अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर इच्छित परिणाम प्राप्त करने की क्षमता को दर्शाती है, जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों के क्षेत्र में एक निर्णायक वास्तविकता है। सॉफ्ट पॉवर की मुद्रा सांस्कृतिक प्रभाव, राजनीतिक मूल्य और विदेशी नीतियां हैं। इसी तरह, भारत की सॉफ्ट पॉवर अमेरिकी धरती पर भारतीय प्रवासियों का बढ़ता प्रभाव है।