(1) 3. निम्नांकित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2+2+2=6) (क) “हे भगवान! तब के लिए! विपद के लिए! इतना आयोजन! परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस! पिताजी, क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्दू भू-पृष्ठ पर बचा न रह जाएगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असम्भव है। फेर दीजिए पिताजी, मैं काँप रही हूँ-इसकी चमक आँखों को अन्धा बना रही है।" (i) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। (ii) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (iii) अपने पिता का कौन-सा कृत्य ममता को परमपिता की इच्छा के विरुद्ध लगा? -
Answers
Answer:
help me please
help me please
गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं।
i) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
- उपरोक्त गद्यांश का संदर्भ
प्रस्तुत गद्यांश " ममता " पाठ से लिया गया है।इस पाठ के लेखक जयशंकर प्रसाद हैं।
- (ii) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
जयशंकर प्रसाद जी कहते है कि ममता स्वर्ण आभूषणों से भरे थल को देखकर हैरान रह गई व अपने पिता से कहने लगी कि आपने विपत्ति के लिए इतना धन क्यों नमा किया है , यह कृत भगवान की इच्छा के विरुद्ध है, आपकी ब्राह्मण होकर यह कार्य करना शोभा नहीं देता । आपको क्या ऐसा लगता है कि इस पृथ्वी पर कोई हिन्दू न बचेगा जो ब्राह्मण को भिक्षा दे सके। ऐसा होना इस पृथ्वी पर असंभव है कि कोई हिन्दू ब्राह्मण को अन्न दान न दे।
- (iii) अपने पिता का कौन-सा कृत्य ममता को परमपिता की इच्छा के विरुद्ध लगा? -
ममता के पिता ने विपत्ति के समय के लिए स्वर्ण आभूषणों से भरा थाल संग्रह किया था, अपने पिता का यह कृत्य ममता को भगवान की इच्छा के विरुद्ध लगा।