Hindi, asked by jitendramarkam066, 9 hours ago

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प्रश्न-11
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
[2+2+2=6]
"रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ललकार कर चुनौती देती
रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किन्तु
गाँव के अर्द्धमृत, औषधि उपचार-पथ्यविहीन प्राणियों में वह संजीवनी शक्ति ही भरती
थी। बूढ़े बच्चे-जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता
था। स्पंदन-शक्ति-शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की
आवाज़ में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को
रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूंदते समय
कोई तकलीफ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।"
(क) गद्यांश में रात्रि की किस विभीषिका की चर्चा की गई है? ढोलक उसको किस
प्रकार की चुनौती देती थी? लिखिए।
(ख) किस प्रकार के व्यक्तियों को ढोलक से राहत मिलती थी? यह राहत कैसी थी?
(ग) 'दंगल के दृश्य' से लेखक का क्या अभिप्राय है? यह दृश्य लोगों पर किस तरह
का प्रभाव डालता था?​

Answers

Answered by bhatiamona
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है :

(क) गद्यांश में रात्रि की किस विभीषिका की चर्चा की गई है? ढोलक उसको किस प्रकार की चुनौती देती थी? लिखिए।

उत्तर : गद्यांश में रात्रि  में महामारी की विभीषिका की चर्चा की गई है। ढोलक की आवाज बीमार लोगों के मन उत्साह पैदा करती थी , जिससे मनुष्य महामारी से निपटने की हिम्मत मिलती थी | पहलवान संध्या से सुबह तक ढोलक बजाता रहता है |

(ख) किस प्रकार के व्यक्तियों को ढोलक से राहत मिलती थी? यह राहत कैसी थी?

उत्तर : ढोलक से महामारी से ग्रसित लोगों को अद्र्धमृत,औषधे और उपचार विहीन लोगों को राहत मिलती थी | ढोलक की आवाज सुनकर लोगों को अच्छा महसूस होता था | उनके शरीर के अंदर बीमारियों से लड़ने की ताकत आ जाती थी | उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता था | ढोलक की आवाज मैदान में खेल रहे खिलाड़ियों के मन जितने का उत्साह आ जाता था | उसी प्रकार महामारी से ग्रसित लोगों को बीमारी से लड़ने की प्रेरणा देता था।

(ग) 'दंगल के दृश्य' से लेखक का क्या अभिप्राय है? यह दृश्य लोगों पर किस तरह का प्रभाव डालता था ?​

उत्तर : 'दंगल के दृश्य' से लेखक  का अभिप्राय है , ढोलक की आवाज के बल पर ही दंगल जीता था। उस दृश्य को याद करके लोग उत्साह से भर उठते थे। वह उन्हें बीमारी से लड़ने की प्रेरणा देता था।

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