1.8. निम्नलिखित बयांश को पहा . सर्वाषिक उपयुक्त विकास पीडिया
मेरा जी पढ़ने में बिल्कुल ना पगला था। एक घंटा की किताब का बटना पहाड जस्ता था। मौका पाते होस्टल से निकालकर न
में आ जाता और कभी कंकरियां उछलता, की कागज की तितलियाँ उहाा और डोही कोई साथी मिल गया, ती पूजा अया।
सभी चारदीवारी पर घटकर मौषे चूट रहे हैं। कभी फाटक पर सवार, सो आयै पीठ चोदते हुए गोटरकार का मानद उठा रहे है.
सेविज कमरे में आते ही भाई साहब का वह सट रुप देखकर पाण सूख जाते। उनका पहले सवाल यह होता. कहा है #शा यही
सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवान मेरे पास केवल गोन था। ना जाने मेरे मुह से यह बात क्यों निकारती
की जरा बाहर खेल रहा था। मेरा मन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिंदा और कोई
इलाज ना था कि स्नेह और रोष से मिले हुए राष्टों में मेरा सत्कार करें।
1. इस पाठ के लेखक हैं-
(क) लीलाधर मंडलोई
(ख) प्रेमचंद
(ग) हबीब तनवीर
(घ) निदा फाज़ली
2. एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ जैसा था। इस पंक्ति में पहाड़ जैसा का अर्थ है-
(क) बहुत आसान
(ख) बहुत आनंदित
(ग) बहुत मुश्किल
(घ) बहुत हर्षित
3. प्राण सूख जाना मुहावरे का सही अर्थ है-
(क) खुश हो जाना
(ख) आनंदित होना
(ग) हर्षित होना
(घ) डर जाना
4. समास विग्रह स्नेह और रोच किस समास का उदाहरण है-
(क) वंद्व समास
(ख) द्विगु समास
(ग) अव्ययीभाव समास
(घ) कर्मधारय समास
5. लेखक का मन पढ़ाई में इसलिए नहीं लगता था क्योंकि
(क) उसे किताब भी अच्छी नहीं लगती थी।
(ख) उसे खेलने में रुचि थी।
(ग) उसे अपने माता-पिता की याद आती थी।
(घ) वह कामचोर था।
5x1-5
प्र.9. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
कई सालों से बड़े-बड़े बिल्डर समंदर को पीछे धकेल कर उसकी जमीन को हथिया रहे थे। बेचारा समंदर लगातार सिमटता जा रहा
था। पहले उसने अपनी फैली हुई टांगे समेटी, थोड़ा सिमटकर कर बैठ गया। फिर जगह कम पड़ी तो प्रकाडू बैठ गया। फिर खड़ा हो
गया... जब खड़े रहने की जगह कम पड़े तो उसे गुस्सा आ गया। जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है। परंतु
आता है तो रोकना मुश्किल हो जाता है, और यही हुआ, उसने एक रात अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाजों को उठाकर बच्चों की
गेट की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक वीं के समंदर के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांता में कार्टर रोड के सामने आँ)
मुंह और तीसरा गेट वे ऑफ इंडिया पर टूट-फूट कर सैलानियों का नजारा बना बावजूद कोशिश, वे फिर से चलने फिरने के काबिल
नहीं हो सके।
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he w7sbw kuw ys wiahv euss
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