1. आंचलिक शक्तियों का उत्थान।
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आंचलिक उपन्यास(Anchalik Upanyas)
हिन्दी उपन्यासों के क्षेत्र में आंचलिक प्रवृत्ति आधुनिकतम प्रवृत्ति के रूप में मान्य है। व्यक्तिवादी साहित्य के विरोध में उपन्यासों में विशिष्ट आंचलिकता नवीन चेतना की परिचायक है। आधुनिक युग में उपन्यास वैयक्तिक कुण्ठाओं एवं मान्यताओं से पृथक् उस प्राकृतिक वातावरण की ओर उन्मुख हो रहे हैं, जहाँ भारतीय संस्कृति अपने प्राचीन रूप से सुरक्षित है, वहाँ नवीन परिवर्तनों का प्रभाव किंचित् मात्र भी दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।
आंचलिकता का उदय एक विशेष आंदोलन द्वारा हुआ है। यह आंदोलन विश्व साहित्य से सम्बन्धित है। डेनियलल हाफमैन का इस सम्बन्ध में मत है कि प्रादेशिकता संसारव्यापी रोमांटिक आंदोलन की अभिव्यक्ति है। इस कारण उन सब राष्ट्रों के साहित्य में, जो इस आंदोलन से प्रभावित रहे थे, इसके दर्शन हो जाते है।
आंचलिक उपन्यास(Anchalik Upanyas)
हिन्दी उपन्यासों के क्षेत्र में आंचलिक प्रवृत्ति आधुनिकतम प्रवृत्ति के रूप में मान्य है। व्यक्तिवादी साहित्य के विरोध में उपन्यासों में विशिष्ट आंचलिकता नवीन चेतना की परिचायक है। आधुनिक युग में उपन्यास वैयक्तिक कुण्ठाओं एवं मान्यताओं से पृथक् उस प्राकृतिक वातावरण की ओर उन्मुख हो रहे हैं, जहाँ भारतीय संस्कृति अपने प्राचीन रूप से सुरक्षित है, वहाँ नवीन परिवर्तनों का प्रभाव किंचित् मात्र भी दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।
आंचलिकता का उदय एक विशेष आंदोलन द्वारा हुआ है। यह आंदोलन विश्व साहित्य से सम्बन्धित है। डेनियलल हाफमैन का इस सम्बन्ध में मत है कि प्रादेशिकता संसारव्यापी रोमांटिक आंदोलन की अभिव्यक्ति है। इस कारण उन सब राष्ट्रों के साहित्य में, जो इस आंदोलन से प्रभावित रहे थे, इसके दर्शन हो जाते है।
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