(1) आर्य और द्रविड़ प्रजा के विषय में लिखिए। ch. 1 bharat ki virasat
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भारत में अनेक प्रजातियों के लोग रहते हैं। नृवंशीय अध्येताओं के अनुसार कम-से-कम छह प्रमुख प्रजातियाँ तो चिन्हित ही की जा सकती हैं। बहुत प्राचीन यानि मूलवासी लोग नेग्रीटो थे, उसके बाद प्रोटो-ऑस्ट्रेलियाई लोगों का आना बताया जाता है, प्रोटो-ऑस्ट्रेलियाई और द्रविड़ लोगों में कोई संबंध है, ऐसा कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है, जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे। भूमध्यसागरीय इलाकों से आए हुए लोगों की एक अलग दास्ताँ है। फिर उत्तर-पूर्वी छोर पर मंगोलियाई-तिब्बती घनीभूत दिखते है, जो पर्वतीय तराई क्षेत्रों में बढ़ते हुए पच्छिम तक के बड़े हिस्से में फैलते गए। (हड़प्पा से प्राप्त कंकालीय अवशेषों के अध्ययन से इस बात का भी पता चलता है कि कुछ कंकाल मंगोलीय प्रभाव के भी हैं।) और फिर आर्यों का आना हुआ। यूँ शक, यूची, हूण, चीन, पठान, तुर्क, अफगान जाने कितने लोग यहां आते-बसते और घुलते-मिलते रहे। कहते हैं, पारसी लोग मुगलों के ज़माने में आये और उनके पुरखों के एक प्रतिनिधि ने दरबार में जाकर इस मुल्क में बसने की गुजारिश की, तब बादशाह ने कहा कि यहाँ तो पहले से ही इतने किस्म के लोग हैं। इस पर उस बुजुर्ग पारसी ने कहा था, जहाँपनाह! आपके यहाँ हम वैसे ही घुल-मिल जायेंगे, जैसे दूध में मिसरी (शक्कर) घुल जाती है। हम दिखेंगे नहीं, लेकिन मुल्क की मिठास बढ़ाएंगे। कहते हैं इस जवाब ने मुगल बादशाह का मन जीत लिया था।