1. आश्रम-व्यवस्था क्यों आवश्यक है?
2. चारों आश्रमों के नाम लिखें तथा उनकी आयु सीमा भी बताएँ।
3. ब्रह्मचर्याश्रम क्यों महत्त्वपूर्ण है?
4. गृहस्थाश्रम को सबसे ऊँचा और श्रेष्ठ क्यों माना जाता है?
5. एक वानप्रस्थी के क्या कर्त्तव्य हैं?
6. संन्यास आश्रम का क्या महत्त्व है?
Answers
Answer:
1. यह हमारे उपयोग और सुरक्षा के लिए जानवरों को नियंत्रित करना है। दूसरा कारण स्वयं को भावी जीवन के लिए तैयार करना है, अर्थात अन्य तीन आश्रमों में जीवन। परंपरागत रूप से एक आश्रम एक आध्यात्मिक गुरु या शिक्षक का घर होता है जो अपने परिवार के साथ वहां रहता है। मार्गदर्शन और आध्यात्मिक ज्ञान लेने के लिए लोग आश्रम आते हैं।
2. ये चार आश्रम थे- ( १ ) ब्रह्मचर्य ( २ ) गृहस्था ( ३ ) वानप्रस्थ ( ४ )संन्यास। उम्र के ५ साल तक बच्चा अपने माता -पिता के साथ रहता था और उसके बाद उसे गुरुकुल में भेज दिया जाता था। गुरुकुल में गुरु अपने शिष्यों को विविध विषयों का एवं चीज़ो का नॉलेज देते थे।
3. ब्रह्मचर्य आश्रम-
ब्रह्मचर्य काल शिक्षा, शरीरोन्नति और दीक्षा–प्राप्ति के लिए नियत है। शिक्षा आत्मिक शक्तियों के विकास करने को कहते हैं। दीक्षा बाहर से ज्ञान प्राप्त करके भीतर एकत्र करने का नाम है। मनुष्य का शरीर तीन प्रकार के परमाणुओं से बना है ।
4. गृहस्थाश्रम के विषय में संत तिरुवल्लुवर ने कहा है - गृहस्थ जीवन ही धर्म का पूर्ण रूप है। गृहस्थाश्रम इसलिए भी श्रेष्ठ है कि जीवन में आनी वाली प्रत्येक बाधा और संकट का व्यक्ति अपने जीवन कौशल से सामना करता है। वह जिम्मेदारी के बोध से भरा होता है।
5. गृहस्थ की जिम्मेदारियाँ यथा शीघ्र करके, उत्तराधिकारियों को अपने कार्य सौंपकर अपने व्यक्तित्व को धीरे-धीरे सामाजिक, उत्तरदायित्व, पारमार्थिक कार्यों में पूरी तरह लगा देने के लिए वानप्रस्थ संस्कार कराया जाता है। इसी आधार पर समाज को परिपक्व ज्ञान एवं अनुभव सम्पन्न, निस्पृह लोकसेवी मिलते रहते हैं।
6. जो संन्यासी बुरे कामों से इन्द्रियों के निरोध, राग-द्वेषादि दोषों के क्षय और निर्वैरता से सब प्राणियों का कल्याण करता है, वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
Answer:
ये चार आश्रम थे- ( १ ) ब्रह्मचर्य ( २ ) गृहस्था ( ३ ) वानप्रस्थ ( ४ )संन्यास। उम्र के ५ साल तक बच्चा अपने माता -पिता के साथ रहता था और उसके बाद उसे गुरुकुल में भेज दिया जाता था।