.1 आशय स्पष्ट कीजिए- बरसा रहा है रवि अनल, भूतल तवा-सा जल रहा। है चल रहा सन-सन पवन, तन से पसीना बह रहा।। देखो कृषक शोणित सुखाकर, हल तथापि चला रहे। किस लोभ से इस आँच में, वे निज शरीर जला रहे।। 2. संप्रति कहाँ-क्या हो रहा है, कुछ न उनको ज्ञान है। है वायु कैसी चल रही, इसका न कुछ भी ध्यान है।। मानो भुवन से भिन्न उनका , दूसरा ही लोक है। शशि-सूर्य हैं फिर भी कहीं, उनमें नहीं आलोक है।।
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jijaji in electronically
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