Hindi, asked by praveengiridih09, 3 months ago

1. आत्मनिर्भरता से तात्पर्य है-अपने ऊपर निर्भर रहना। आत्मनिर्भरता का अर्थ यह है कि जिस किसी कार्य को करने की इच्छा करे, उसके लिए पूर्ण तत्परता और लगन का परिचय दे। स्वयं अपने सहारे उसे सिद्ध करने का प्रयास करे। आत्मनिर्भरता एक श्रेष्ठ गुण है जिसका आधार आत्मविश्वास है। इस गुण से सम्पन्न व्यक्ति संपूर्ण विश्व को अपना कर्मक्षेत्र मानकर परिश्रम करता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। इसी गुण के सहारे वह बड़ी-से-बड़ी बाधा को भी दूर कर देता है और सफलता का आलिंगन करता है। आत्मनिर्भरता गुण का अभाव व्यक्ति को दूसरों का दास बना देता है। छोटे-छोटे कार्यों के



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लिए भी वह दूसरों का सहारा ढूंढता रहता है। दूसरे शब्दों में वह अकर्मण्य हो जाता है। इतिहास साक्षी है कि जिस राष्ट्र का भी पतन हुआ है वहाँ के नागरिक आलसी और परिश्रम न करने की प्रवृत्ति से ग्रसित रहे हैं। प्रसिद्ध कहावत है जो अपनी सहायता नहीं करता परमात्मा भी उसका सहायक नहीं होता। परावलंबी होने से बड़ा कोई दोष नहीं है। जीवन में विकास करने की प्रवृत्ति आत्मनिर्भर होने पर ही आती है। यह ऐसी आवश्यकता है जो हमें जीने का मार्ग दिखाती है। निराशा इससे दूर भागती और मनुष्य पुरुषार्थी होकर अंधकार से प्रकाश की आर आगे बढता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह आत्मनिर्भर बने। यही मनुजता का मर्म है तथा सुखी होने का सही मार्ग है। मानव जीवन की बड़ी आवश्यकता स्वावलंबी होना है।

(i) आत्मनिर्भरता से आप क्या समझते हैं?

(ii) आत्मनिर्भरता का आधार क्या है? आत्मनिर्भर व्यक्ति में कौन-कौन से गुण परिलक्षित होते हैं?

(iii) आत्मनिर्भरता गुण का अभाव किन नकारात्मक प्रवृत्तियों को जन्म देता है?

(iv) आत्मनिर्भरता व्यक्ति को विकास के मार्ग पर किस प्रकार प्रशस्त करती है?


(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दें। यह भी बताइए कि परमात्मा की कृपादृष्टि किस व्यक्ति पर विशेष रूप से रहती है?​

Answers

Answered by bhatiamona
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(i) आत्मनिर्भरता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : आत्मनिर्भर का अर्थ होता है  “आत्मा मैं यह विश्वास रखना की यह कार्य मैं कर सकता हूँ” आत्मनिर्भर बनने के लिए हमारे पास आत्मविश्वास होना चाहिए| आत्मनिर्भर होने से हम कोई अपना काम खुद कर सकते है , हम अपना लक्ष्य पूरा कर सकते है | यदि हम आत्मनिर्भर है तो अपने जीवन का कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते है | इसलिए जीवन में आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है | जो व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है समाज में उसका नाम होता है |

(ii) आत्मनिर्भरता का आधार क्या है? आत्मनिर्भर व्यक्ति में कौन-कौन से गुण परिलक्षित होते हैं?

उत्तर : आत्मनिर्भरता का आधार आत्मविश्वास है। आत्मविश्वास मनुष्य जीवन में कभी भी हार नहीं मानता है | आत्मनिर्भर व्यक्ति में परिश्रम , लग्न से काम करता है | वह अपे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है |

(iii) आत्मनिर्भरता गुण का अभाव किन नकारात्मक प्रवृत्तियों को जन्म देता है?

उत्तर : आत्मनिर्भरता गुण का अभाव व्यक्ति को दूसरों का दास बना देता है। वह व्यक्ति दूसरों पर निर्भर रहता है , वह खुद कुछ नहीं कर पाता है | छोटे-छोटे कार्यों लिए भी वह दूसरों का सहारा ढूंढता रहता है। वह बेबस हो जाता है | आत्मनिर्भरता गुण का अभाव व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता है |

(iv) आत्मनिर्भरता व्यक्ति को विकास के मार्ग पर किस प्रकार प्रशस्त करती है?

उत्तर :  जीवन में विकास करने की प्रवृत्ति आत्मनिर्भर होने पर ही आती है। यह ऐसी आवश्यकता है जो हमें जीने का मार्ग दिखाती है। निराशा इससे दूर भागती और मनुष्य पुरुषार्थी होकर अंधकार से प्रकाश की आर आगे बढता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह आत्मनिर्भर बने।

(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दें। यह भी बताइए कि परमात्मा की कृपादृष्टि किस व्यक्ति पर विशेष रूप से रहती है?​

उत्तर : उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक सफलता की चाबी आत्मनिर्भर | परमात्मा की कृपा दृष्टि किस व्यक्ति पर विशेष रूप पर रहती है जो व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं करता है | अपना काम स्वयं करता है | अपने उपर विश्वास रखता है | महेनत करके अपना लक्ष्य को प्राप्त करता है |

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