1. अगर एक चुम्बकीय सूई को असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा
जाता है तो सूई पर
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Explanation:
परिभाषा : “ऐसा क्षेत्र जिसमे किसी बिंदु पर रखी गयी चुंबकीय सुई एक निश्चित दिशा में ठहरती है इसे क्षेत्र को चुंबकीय क्षेत्र कहते है।”
चुंबकीय सुई जिस दिशा में ठहरती है इसे चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कहते है।
अतः यह एक सदिश राशि है इसे B से प्रदर्शित करते है इसका SI मात्रक वेबर/वर्गमीटर (Weber/m2) या टेसला (Tesla) है। तथा इसकी विमा (विमीय सूत्र ) M1L0T-2A-1 है।
चुंबकीय क्षेत्र में रखी हुई सुई उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती है।
असमान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा अलग अलग होती है जबकि समान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा एक ही होती है।
स्थिर अवस्था में आवेश विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि गतिशील आवेश विद्युत क्षेत्र व चुंबकीय क्षेत्र दोनों उत्पन्न करता है।
चुंबकीय क्षेत्र में किसी गतिमान आवेशित कण पर कार्य करने वाले बल को चुंबकीय बल कहते है।
माना कोई आवेश q किसी चुंबकीय क्षेत्र B में V वेग से गति कर रहा है अतः q आवेश पर लगने वाला चुंबकीय बल निम्न सूत्र से दिया जाता है (जबकि विद्युत क्षेत्र अनुपस्थित है )
F = qVB
यदि वेग V तथा चुंबकीय क्षेत्र B के मध्य कोण θ है तो
F = qVB sinθ
यदि कोण θ का मान 90 डिग्री है तो इस स्थिति में बल अधिकतम होगा जिसका मान निम्न सूत्र से दिया जाता है
Fmaximum = qVB
सूत्र से चुंबकीय क्षेत्र निकालने के लिए ]
B = Fmax/qV
यदि आवेशित कण पर 1 कूलॉम आवेश उपस्थित हो तथा आवेशित कण 1 मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से गति कर रहा है अर्थात q = 1 C , V = 1 m/s
अतः B = F
अतः चुंबकीय क्षेत्र को निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है
” किसी स्थान पर एक मीटर प्रति सेकंड से (एकांक) गतिमान एक कूलॉम (एकांक) आवेशित कण पर लगने वाले बल के परिमाण को चुंबकीय क्षेत्र कहते है जबकि आवेश चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गतिशील है। ”
चुंबकीय क्षेत्र को अन्य कई नामो से जाना जाता है जैसे चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता , चुंबकीय प्रेरण व चुम्ब्कीय फ्लक्स घनत्व आदि।
चुम्बकत्व
लगभग 600 ईसा पूर्व से ज्ञात है कि मैग्नेटाइट नामक खनिज पदार्थ के टुकड़ों में लोहे के पदार्थों को आकर्षित करने का गुण है। ऐसे पदार्थो को चुम्बक कहा गया एवं लोहे को आकर्षित करने के गुण को चुम्बकत्व कहा गया। प्रकृति में मिलने के कारण इन्हें प्राकृतिक चुम्बक कहते हैं। रासायनिक रूप से यह लोहे का ऑक्साइड होता है। इसकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती है। कुछ पदार्थों को कृत्रिम विधियों द्वारा चुम्बक बनाया जा सकता है, जैसे लोहा, इस्पात, कोबाल्ट आदि। इन्हें कृत्रिम चुम्बक कहते हैं। ये विभिन्न आकृति की होती है, जैसे- छड़ चुम्बक, घोड़ा-नाल चुम्बक, चुम्बकीय सूई आदि।
चुम्बक के गुण
आकर्षण- चुम्बक में लोहे, इस्पात आदि धातुओं को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता होती है। यदि किसी चुम्बक को लौह बुरादों के पास लाया जाय, तो बुरादा चुम्बक में चिपक जाता है। चिपके हुए बुरादे की मात्रा, चुम्बक के दोनों सिरों पर सबसे अधिक एवं मध्य में सबसे कम होती है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि चुम्बक की आकर्षण शक्ति उसके दोनों किनारों पर सबसे अधिक एवं मध्य में सबसे कम होती है। चुम्बक के किनारे के दोनों सिरों को चुम्बक के ध्रुव कहलाते हैं।