1. 'अकास हर चाँउर सही छरागे' के का भाव हे ?
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बहुत बेबाक आँखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता,
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है।
कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से,
किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।
एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आँखों में है ये दिल में है।
मस्त आँखों पर घनी पलकों की छाया यूँ थी,
जैसे कि हो मैखाने पे घरघोर घटा छाई हुई।
लोग कहते हैं जिन्हें नील कंवल वो तो क़तील,
शब को इन झील सी आँखों में खिला करते है।
- via bkb.ai/shayari
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