(1) अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।।
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(1) अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।।
निम्नलिखित पंक्तियों में अद्भुत रस है |
अद् भुत रस का स्थायी भाव 'विस्मय' है |
अलौकिक व आश्चर्यजनक वस्तुओं या घटनाओं को देखने सुनने से जो विस्मय होता है, वही अद् भुत रस में परिणित हो जाता है |
अद्भुत रस—जब मनुष्य के मन में किसी ऐसी बात को जिसे पढ़कर या सुनकर आश्चर्य हो और देख के आश्चर्य भाव उत्पन्न होते है तो उसे अद्भुत रस कहते है। अद्भुत रस अनुभाव अन्दर आँसू आना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं|
उदाहरण--- जैसे किसी के बीमारी की खबर सुनना| फेल होने की खबर सुनना |
किसी को बड़े समय बाद देखना |
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निम्नांकित पंक्ति में पहचान कर बताइए कि कौन-सा रस है ? उस रस की परिभाषा देते हुए उसका स्थायी भाव भी लिखिए—
अति मलीन बृषभानुकुमारी ।
हरि स्त्रमजल अंतर तनु भीजे ता लालच न धुआवति सारी ।।