1. अलंकार की परिभाषा लिखिए।
2. अलंकार के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए।
Answers
Answer:
अलंकार की परिभाषा (definition of alankar) :
काव्यों की सुंदरता बढ़ाने वाले यंत्रों को ही अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार मनुष्य अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए विभिन्न आभूषणों का प्रयोग करते हैं उसी तरह काव्यों की सुंदरता बढ़ाने के लिए अलंकारों का उपयोग किया जाता है।
अतः काव्यों को शब्दों व दूसरे तत्वों की मदद से सुसज्जित करने वाला ही अलंकार कहलाता है ।
अलंकार के भेद (Types of Alankar) :
अलंकार के मुख्यतः दो भेद होते हैं :
शब्दालंकार
अर्थालंकार
Answer:
Ok.
Explanation:
जो शब्द या पद वाक्य की शोभा बढ़ा देते हैं, उन्हें अलंकार कहते हैं।
अलंकार के दो भेद होते हैं:-
1- शब्दालंकार
2- अर्थालंकार
1- शब्दालंकार के भेद:-
1. अनुप्रास अलंकार :-
वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं. वर्णों की आवृत्ति के आधार पर वृत्यानुप्रास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास , श्रत्यानुप्रास, और अंत्यानुप्रास आदि इसके मुख्य भेद हैं।
2. यमक अलंकार:-
यमक एक ही शब्द की आवृत्ति 2 या उससे अधिक बार होती है लेकिन अर्थ उनके भिन्न-भिन्न होते है।
3. श्लेश अलंकार:-
एक ही शब्द के कई अर्थ निकलते हैं तो वहां स्लेश अलंकार होता है ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यमक के शब्द आवृत्ति होती है और एकाधिक अर्थ होते हैं जबकि प्लेस में बिना शब्द की आवृत्ति ही शब्द के एकाधिक अर्थ होते हैं।
2- अर्थालंकार के भेद:-
1. उपमा:-
यहां किसी वस्तु की तुलना सामान्य गुण धर्म के आधार पर वाचक शब्दों से अभिव्यक्त होकर किसी अन्य वस्तु से की जाती है। उपमा अलंकार होता है जैसे पीपर पात सरिस मन डोला।
2. रूपक:-
जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
3. उत्प्रेक्षा:-
जहां प्रस्तुत उप में के अप्रस्तुत उपमान की संभावना व्यक्ति की जाए वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है जैसे वृक्ष ताड़ का बढ़ता जाता मानो नभ को छूना चाहता।
4. भ्रांतिमान :-
जहां समानता के कारण उपमेय में उपमान की निश्चयात्मक प्रतीति हो और वह क्रियात्मक परिस्थिति में परिवर्तित हो जाए।
5. सन्देह:-
यहां उसी वस्तु के समान दूसरी वस्तु की संदेह हो जाए लेकिन वह निश्चित आत्मक ज्ञान में ना बदले वहां संदेह अलंकार होता है।
6. अतिशयोक्ति अलंकार:-
जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
जहां किसी वस्तु का वर्णन बढ़ा चढ़ाकर किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है ।
7. विभावना अलंकार:-
जहां कारण के अभाव में कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाता है विभावना अलंकार होता है।
8. मानवीकरण:-