Hindi, asked by POSEIDONTHEDJ, 6 months ago

1. अनुच्छेद लिखिए - (लगभग 80 से 100 शब्दों में )
(क) छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति​

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Answered by sanjayguptav06
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Answer:

जाने छत्तीसगढ की लोक संस्कृति के बारे में

6 वर्ष पहले

रायपुर। रायपुर में 19 से 21 दिसंबर तक जनजाति उत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जनजाति समुदाय के लोग नृत्य और संगीत के माध्यम से अपने कल्चर और लाइफ स्टाइल के बारे में बताएंगे। इस उत्सव के उपलक्ष्य में हम आपके लिए लेकर आए हैं प्रदेश के लोक नृत्यों और गीतों के संबंध में रोचक जानकारियां...

छत्तीसगढ में भारत की सबसे पुरानी आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं, विभिन्न जनजातियों के संगम के कारण यहां की संस्कृति बेहद समृद्ध है। यहां निवासरत हर जनजाति की अपनी लोक कलाएं हैं जो दूसरे से बिलकुल अलग है। यहां हम छत्तीसगढ के लोक नृत्यों के बारे में बता रहे हैं।

करमा नृत्य

यह नृत्य छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का पर्याय है। मांगलिक अवसरों पर गोंड जनजाति यह नृत्य करती है। इस नृत्य में करससेनी देवी का गुणगान किया जाता है। यह नृत्य गैर आदिवासी समुदायों के द्वारा भी किया जाता है।

इस नृत्य में स्त्री-पुरुष सभी भाग लेते हैं। अलग-अलग उपलक्ष्य में इस नृत्य का महत्व अलग-अलग होता है। इसमें आदिवासी खुद ही मांदर और झांझ बजाते हैं, खुद ही गाते हैं और नृत्य करते हैं। इस नृत्य के लिए नर्तक पीठ में मयूर पंख पहनते हैं, और सिर पर कलगी बांधते हैं। हाथ, कमर, गर्दन और पैर में विभिन्न प्रकार के गहने पहनते है। करमा में ज्यादातर भक्ति और श्रृंगार के गीत गाए जाते हैं, लय और ताल के हिसाब से नर्तक अलग-अलग फॉर्मेशन बनाते हैं।

छत्तीसगढ़ में करमा नृत्य की पांच शैलियां प्रचलित हैं। जो इस प्रकार है

झूमर- इसमें नर्तक झूम-झूम कर नृत्य करते हैं।

लहकी- इसमें नर्तक लहराते हुए अलग-अलग फॉर्मेशन बनाते हैं।

ठाढ़ा: इस शैली में नर्तक खडे होकर नृत्य करते हैं।

लंगड़ा: इसमें एक पैर झुकाकर, एक पैर से नृत्य लरते हैं।

खेमटा: इसमें पैर आगे-पीछे रखकर, कमर लचकाकर नृत्य करते हैं।

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