1. अपनी माँ को एक पत्र लिखकर बताइए कि उनसे कितना प्रेम करते हैं और उनके बारे में क्या महसूस करते है।(Creative Writing) Write this letter in hindi in 100 words.
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माता को पत्र आदरणीया,
एक समय था जब आप युवा थी | आपका सौन्दर्य एक बड़े भू भाग को मुग्ध किये हुए था | आपका माधुर्य जन-मानस में भरा हुआ था | आपके स्नेह से सब अभिभूत थे | समस्त बुद्धिजीवी आपको शीश नवाते थे | आप सभी के लिए कल्याणकारी थी | सभी आपके आभारी थे | पहले आपकी माता को जो सम्मान प्राप्त था, वही सम्मान अब आपको मिलने लगा था | हम सब आपको माता कहते थे | लम्बे समय से सभी आपकी गोद में खेले | सभी ने अपनी किलकारियों में आपको पुकारा | सभी को आपने बोलना सिखाया |
फिर एक दिन चुपके से लुटेरों के साथ कोई आयी | हाँ, लुटेरे ही तो थे वो | धीरे - धीरे उसने अपना परिचय बढाया | पता नहीं लोगों ने उसमे क्या देखा ? सब उससे सम्मोहित से होने लगे और कब वो आपकी सौतन बन बैठी, पता ही न चला | आपका प्रभाव धूमिल होता गया और वो उज्ज्वल स्वर्णमयी हो उठी | आप जैसा स्नेह उसमें कहाँ ? परन्तु हे माता ! अब तो सभी उसको माता मानने लगे हैं | कहाँ आपके आँचल की शीतल छाँव और इनके पास .......................... इनके पास तो आँचल ही नहीं | आपका ममतामयी मुखमण्डल और इधर मादक रूप | यह सब कैसे हो गया ? समस्त विश्व जानता है कि हमने कभी किसी का अपमान नहीं किया | फिर आपके साथ ऐसा क्यों हुआ ? आपका का परित्याग हो गया और वो सिंहासनारूढ हो गयी |
लोग आपकी उसी ऊँगली को छोड़ने लगें हैं , जिसे पकड़कर उन्होंने चलाना सीखा | कुछ तो बहुत दूर गए | सच तो यह है कि आपके बच्चे अब यह मानने को तैयार ही नहीं कि आपके मार्गदर्शन में वे आगे तक जा सकते हैं | धीरे-धीरे आपके सभी पुत्र उसके सेवक बनते जा रहे हैं और अपने आप को धन्य समझ रहे हैं | मै भी कब तक आपका दामन से लिपटा रहूँ ? सच तो यह है कि मुझे भी अब आपको माता कहकर हँसी का पात्र बनना अच्छा नहीं लगता | मुझे आपके कारण अपमानित होना पड़ता है | बस अब तो आप किसी अवसर विशेष पर स्मरण करने के योग्य रह गयी है | बस उस दिन मैं भी आपको स्मरण कर लिया करूँगा |
हे देवभाषा ‘संस्कृत’ की पुत्री ‘हिन्दी’ ! अपने पुत्र को आशीर्वाद दीजिये कि वो विदेशी ‘आंग्ल भाषा’ को अपना सके अपने स्वतन्त्र राष्ट्र में सम्मान के साथ रह सके |
सादर चरण स्पर्श | आपका लाडला
भारत-पुत्र