1) अपठित गद्यांश
जाप जानत ह कि कर्मवीर मनष्य की क्या पडद्यावी
-बड़ी मुसीबत
से-बड़ी मुसीबत का हँस कर सामना करता है। चाहे वह विपत्ति कितनी ही बड़ा ।
से -
नहीं घबराता। बड़ी-
करता है। चाहे वह विपत्ति कितनी ही बड़ी क्यों नहो । कोशिश करने पर बही
आसान हो जाती है। कर्मवीर मनुष्य कभी भी भाग्य के भरोसे अपनी कोशिश
अरबी से बड़ी मुश्किल भी
वहीं छोइता, वह तो अपने पारअम वारा ही अपने भाग्य
को बदलने तक कि क्षमता रखता है, इसलिए हमें अपने जीवन में हम
मता रखता है, इसलिए हमें अपने जीवन में हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। वार मध्य nि rळत
1मना करके अपने जीवन को सरल बनाता है। प्रगति कि राह पर चाहे कितनी ही मुश्किलें आ जाएँ ।
करता है। विघ्न कभी भी उसका रास्ता रोक नहीं पाता।
| क) कर्मवीर मनुष्य कि पहचान क्या होती है।
ख) बड़ी-से-बड़ी विपत्ति कब आसान हो जाती है?
ग) हमें कर्मरत क्यों रहना चाहिए?
घ) कर्मवीर का जीवन सरल क्यों बन जाता है?
ङ) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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please ask your question in English language kyu ka ma jk SA hu muja hindi kaam hai so sorry
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