1, अधोलिखित गद्यांश को पककर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सादा जीवन उच्च विचार- यह मुहावरा सुनने में कितना मनमोहक है परन्तु इसके अनुरुष जीवन को ढालना अत्यंत
कठिन है। इस मुहावरे को साकार कर जीवन में उतारने वाले डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन उन महापुरुषों की श्रेणी में
आते है जिनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। वे जो कहते थे वो करके ही दम लेते थे। डॉ.राधाकृष्णन
ने जीवन को कठिन तपस्या के रुप में लिया और स्वंय को इसकी आग में तपाकर कुंदन बना लिया। तदंतर उनकी
चमक से संपूर्ण विश्व प्रकाशित हो उठा। ये किसी राजनीतिक दल अथवा जोशिले भाषणों के बल पर दुनिया में पूजनीय
हुए
बल्कि उन्होंने इस सम्मान और संचाइयों को अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त किया। उनका जीवन एक
शिक्षक के रुप में आरम्भ हुआ था लेकिन अपनी बौद्धिकता और योग्यता के बल पर उन्होंने एक महान दार्शनिक और
लेखक के रूप ख्याति अर्जित की। साथ ही वे एक ओजस्वी वक्ता के रूप में भी पहचाने गए। जब राधाकृष्णन राष्ट्रपति
पद पर आसीन हुए तो उन्हें दस हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था। लेकिन वे मात्र ढाई हजार रुपए मासिक वेतन
लेते थे। उनके वेतन की शेष राशि देश की उन्नति और विकास कार्यों में खर्च होती थी। डॉ.राधाकृष्णन देश के प्रति
समर्पित व्यक्ति थे।
1. डॉ.राधाकृष्णन का जीवन किस रुप में आरम्भ हुआ था?
क. लेखक
खा. शिक्षक
ग. वक्ता
घ. दार्शनिक
2 डॉ.राधाकृष्णन अपने किस गुण के कारण दुनिया में पूजनीय हुए?
क. लेखन के कारण ख. योग्यता के कारण ग. दानवीरता के कारण घ, ओजस्वी वक्ता के कारण
3. डॉ.राधाकृष्णन का मासिक वेतन कितना था ?
क.दस हजार ख. ढाई हजार
घ.आठ हजार
4. डॉ.राधाकृष्णन किसके प्रति समर्पित थे?
क. स्वार्थ के
ख. देश के
ग. व्यक्ति के
घ. वेतन के
6. समर्पित शब्द में उपसर्ग है?
ग.पाँच हजार
घ. इनमें से काई नहीं
क.सम
ख. समर
ग.स
म0 2 अधोलिखित काव्यांश को पढकर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
तरुवर फल नहीं खात है सरवर पीयत न पान।
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05
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1) ख. शिक्षक
2)ख. योग्यता के कारण
3) क. दस हजार रुपए
4) ख. देश के
6) ख. स
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