1. बाइबिल के अनुसार बाढ़ की कहानी लिखिए
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‘द बाइबल’ में एक विशाल जल प्रलय की कथा है, जिसमें सारी पृथ्वी डूब गई थी और नोआह (हजरत नूह) ने एक बड़ी-सी नाव पर सारे प्राणियों के एक-एक जोड़े को बचा लिया था, जिससे प्रलय के बाद फिर से दुनिया बसाई गई थी। ऐसी ही जल प्रलय की कहानी भारतीय पुराणों में भी है। जयशंकर ‘प्रसाद’ की महान काव्यकृति ‘कामायनी’ भी जल प्रलय की घटना पर आधारित है। जल प्रलय की कहानियां पूरी दुनिया में मिलती हैं और वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में कोई विशाल जल प्रलय हुआ होगा, जिसकी स्मृति सारी मानवजाति के इतिहास-पुराणों में है। यह जल प्रलय कहां और कैसे हुआ होगा और वह कितना बड़ा था, इस विषय में कई विचार हैं। एक विवादास्पद विचार यह है कि आज से करीब 7,600 वर्ष पहले भूमध्य सागर और काले सागर के बीच ऐसा जल प्रलय आया। कुछ मानते हैं कि शायद लगभग 3,500 वर्ष पहले भूमध्य सागर में कोई सुनामी हुई होगी। एक विचार यह है कि 5,000 वर्ष पहले हिंद महासागर में कोई बड़ी उल्का गिरी थी, जिससे भारी बाढ़ आई थी। सबसे नया सिद्धांत बरमिंघम विश्वविद्यालय के पुरातत्ववेत्ता जैफरी रोज और कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किया है। इसके मुताबिक, कैनेडा की प्रागैतिहासिक विशाल झील ‘एगासिज’ के तटबंध टूट गए थे और उससे जो पानी बहा, उससे हिंद महासागर में भारी बाढ़ आ गई और अरब प्रायद्वीप का एक बड़ा हिस्सा पानी के अंदर चला गया। रोज का कहना है कि फारस की खाड़ी उसी पानी के भरने से बनी है। यह घटना तकरीबन 8,400 वर्ष पहले हुई होगी। जिस हिस्से में पानी भरा था, वहां काफी उन्नत सभ्यता थी, जो बाद में फारस की खाड़ी के किनारे के सूखे इलाकों में पनपी। यह इसलिए संभव लगता है कि इन इलाकों में ईसा पूर्व आठवीं-नौवीं सदी में तो सभ्यता के चिह्न् मिलते हैं, पर यह बात पुरातत्ववेत्ताओं को हैरानी में डाल रही थी, क्योंकि उसके पहले वहां मानव की बसाहट के कोई लक्षण नहीं मिलते। इसका अर्थ यह है कि यहां कहीं से आकर लोग बसे थे।
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