1) बैजू बावरा के हाथों ने सितार बजाकर क्या कौतूहल किया?
2) तानसेन बैजू के चरणों में कैसे गिर पड़ा?
Answers
Answer:
1.कहा जाता है कि बैजू के गाने से पत्थर भी पिघल जाते थे। एक युवती के प्यार में ये ऐसे दीवाने हुए कि लोग इन्हें बावरा कहने लगे। अकबर के दरबार में आयोजित एक प्रतियोगिता में उन्होंने संगीत सम्राट कहे जाने वाले तानसेन को हरा दिया था।
तानसेन समारोह ग्वालियर में 16 दिसंबर से आयोजित हो रहा है। पहले यह समारोह तानसेन उर्स के नाम से होता था। आजादी के बाद तानसेन उर्स को तानसेन समारोह में बदल दिया गया। हम इस मौके पर आपको बताने जा रहे हैं तानसेन व बैजू बावरा के बारे में...
तानसेन का नाम आते ही एक नाम और उभर कर आता है, वह है बैजू बावरा का, जो भले किसी शहंशाह का नवरत्न नहीं बन सका, लेकिन उसके सामने तानसेन जैसे गायक भी नतमस्तक थे। बैजू बावरा का जन्म गुजरात के चांपानेर गांव के एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। इनका असली नाम बैजनाथ मिश्र था। बैजू ग्वालियर के राजा मानसिंह के दरबार के गायक और उनकी संगीत नर्सरी के आचार्य भी रहे।
Explanation:
2.तानसेन अकबर के दरबार के नौ रत्नों में गिने जाते थे। इसी काल में बैजू बावरा की संगीत साधना चरमोत्कर्ष पर थी। किंवदंती है कि अकबर ने अपने दरबार में एक संगीत प्रतियोगिता किया आयोजन रखा। इस प्रतियोगिता की यह शर्त थी कि तानसेन से जो भी मुक़ाबला करेगा, वह दरबारी संगीतकार होगा और हारे हुए प्रतियोगी को मृत्युदंड दिया जाएगा।
इस प्रतियोगिता में कोई भी संगीतकार इस शर्त के कारण सामने नहीं आया, लेकिन गुरु हरिदास की आज्ञा से बैजू ने संगीत प्रतियोगिता में भाग लिया। इस दौरान तानसेन ने टोड़ी राग गाया, जिससे हिरणों का झुंड इक_ा हो गया, तानसेन ने एक हार एक हिरण के गले में डाल दिया। संगीत खत्म होते ही हिरण जंगल में भाग गये।
इसके जवाब में बैजू बावरा ने राग 'मृग रंजनी टोड़ी गाया, हिरण फिर वापस आए और तानसेन का हार वापस आ गया।
इसके बाद बैजू ने 'मालकोस' राग गाया, जिसके प्रभाव से पत्थर मोम की तरह पिघल गया।