1)बाल गंगाधर तिलक ने अपना सारा जीवन
प्राप्त करने में लगा दिया।
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बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक, मूल नाम केशव गंगाधर टिळक, २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)।[1] ।[2]
बाल गंगाधर टिळक
23 जुलाई 1856 से 1 अगस्त 1920 तक
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की एक दुर्लभ चित्र
उपनाम :
बाल,लोकमान्य
जन्मस्थल :
रत्नागिरी जिला, महाराष्ट्र
मृत्युस्थल:
मुंबई, महाराष्ट्र
आन्दोलन:
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
प्रमुख संगठन:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे।