1. बालिकाओं
काओं की शिक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आप अपने स्तर पर अपने परिवार में
क्या-क्या करना चाहेंगे? इसकी सूची बनाकर अपने सहपाठियों को
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Answer:
आपने जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की प्रसिद्ध उक्ति सुनी होगी - 'मेरी दृष्टि में मानव मुक्ति शिक्षा से ही संभव है।' प्राचीन काल से भारतीय समाज में शिक्षकों का स्थान सबसे ऊँचा रहा है अर्थात् ईश्वर के बाद दूसरा स्थान गुरु का ही आता है ऐसे तो गुरु को परमबह्म कहा गया है।
एक शिक्षक अपनी निजी जिन्दगी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छे शिक्षक अपने छात्र-छात्राओं के दिल में महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान रखता है। माता-पिता के बाद शिक्षक ही बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है तथा उसके व्यक्तित्व को सही रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आप सब जानते हैं कि प्रत्येक समाज में बच्चों को दुर्व्यवहार, हिंसा और शोषण का सामना करना पड़ता है। यदि आप अपने आस-पड़ोस में झाँककर देखें, तो पाएँगे कि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने के बजाय मजदूरी के काम में लगे हुए हैं। अधिकाँश बँधुआ माता-पिता अपने बच्चों की पिटाई करते हैं। कक्षा में शिक्षक भी उनकी पिटाई करते या फिर जाति व धर्म के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता है। महिला बाल शिशु को जन्म लेने से रोका जाता है। इसके लिए उनकी गर्भ में या फिर जन्म के बाद हत्या कर दी जाती है अथवा फिर उन्हें परिवार या समाज में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। जन्म के बाद बालिकाओं को बाल-विवाह, बलत्कार या फिर तिरस्कार की मार अलग से झेलनी पड़ती है।
हाँ, कई बच्चों की जीवन की यही सच्चाई है। इनमें से कुछ बच्चें आपकी कक्षा या स्कूल में भी होंगे।
एक शिक्षक के रूप में जब आप देखते या सुनते हैं कि एक बच्चा अपमानित हो रहा है या शोषित हो रहा है, तो उस बारे में आप क्या करेंगे ?
क्या आप ...
भाग्य को दोष देंगे ?
क्या आप यह तर्क देंगे कि सभी प्रौढ़, बाल अवस्था से गुजरते हुए उस अवस्था तक पहुँचे हैं, तो इसके साथ गलत क्या है ?
तर्क देंगे कि यह तो रीति-रिवाज व प्रचलन है इसलिए इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकता।
गरीबी पर दोष मढ़ेगे।
भ्रष्टाचार पर आरोप लगाएँगे।
परिवार वालों को दोषी ठहराएँगे कि वे इसके लिए कुछ नहीं करते।
यदि बालक आपका छात्र नहीं हो, तो आप चिंता क्यों करें ?
यह पता लगाने की कोशिश करें कि बच्चे को सचमुच सुरक्षा की जरूरत है।
तब तक इंतजार करें जब तक कोई साक्ष्य नहीं मिल जाता।
या फिर आप ...
यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चा सुरक्षित जगह पर है।
बच्चे से बात करेंगे।
उसके परिवार वालों से बात करेंगे और उन्हें यह बताएँगे कि प्रत्येक बच्चा को सुरक्षित बाल्यावस्था, उसका अधिकार है और माता-पिता की यह पहली जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों की देखभाल करें।
आवश्यक होने पर बच्चे और उसके परिवार की मदद करेंगे।
यह पता लगाएँगे कि उस बच्चे की सुरक्षा के लिए क्या खतरा है ?
बच्चों के विरुद्ध क्रूर व्यवहार करने वाले या जिनसे बच्चों को सुरक्षा की जरूरत है वैसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
कानूनी सुरक्षा और उपचार की आवश्यकता होने की स्थिति में मामले को पुलिस थाने में दर्ज करवाएँगे।
इस बारे में आपकी प्रतिक्रिया, इस पर निर्भर करेगी कि आप स्वयं को किस नजरिए से देखते हैं। क्या आप स्वयं को मात्र एक शिक्षक या सर्वोच्च प्रदर्शक या प्रेरक या मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं ? क्योंकि शिक्षक या सर्वोच्च प्रदर्शक या प्रेरक या मार्गदर्शक को एक संरक्षक, बचावकर्त्ता एवं सामाजिक बदलाव लाने वाले अभिकर्त्ता की भूमिका भी अवश्य निभानी चाहिए।
आप शिक्षक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ...
आप बाल समुदाय और परिवार के प्रमुख अंग हैं। इस तरह, आप उनके अधिकारों को बढ़ावा देने एवं उन्हें सुरक्षा देने के प्रति जिम्मेदार हैं।
आप बच्चों के रोल मॉडल या आदर्श हैं और इसके लिए आप कुछ मानक निश्चित करें।
आप शिक्षक के रूप में युवा छात्र-छात्राओं की उन्नति, विकास, भलाई और सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार हैं।
आपके पद के कारण यह जिम्मेदारी एवं प्राधिकार आपमें व्याप्त है।
आप एक शिक्षक से अधिक उच्च हो सकते हैं जो स्कूलों में केवल पाठ्यक्रम पूरा करते व बेहतर परिणाम लाते हैं। आप सामाजिक बदलाव लाने वाले अभिकर्त्ता भी हो सकते हैं।
यह जानकारी विशेष रूप से आपके लिए बनाई गई है। क्योंकि आप बच्चों की मदद कर सकते, उन्हें अपमानित व शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। यद्यपि हमने संक्षिप्त में कानून की चर्चा की है अतः इस मामले में किसी वकील से कानूनी सलाह लेना उपयोगी होगा।
बाल अधिकारों को समझना
बच्चे कौन हैं?
अंतरराष्ट्रीय नियम के अनुसार बच्चा का मतलब है वह व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है। यह विश्व स्तर पर बालक की परिभाषा है जिसे बाल-अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र संघ संयोजन (यूएनसीआरसी, अंतरराष्ट्रीय कानूनी संस्था) में स्वीकार किया गया है और जिसे दुनिया के अधिकाँश देशों द्वारा मान्यता दी गई है।
भारत ने हमेशा से 18 वर्ष से