1. 'बादल को घिरते देखा है' कविता में कवि नागार्जुन ने किस पर्वत के किस स्थान का वर्णन किया है ?
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कवि कहते हैं कि उन्होंने तो भीषण सर्दी में गगनचुंबी कैलाश पर्वत पर बादलों को तूफानी हवाओं से गरज-गरज कर टकराते हुए देखा है। इस परिवेश में घिरते हुए बादलों को कवि ने स्वयं देखा है।
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छोङो, वह सब तो मात्र कवि की कल्पना थी। कवि आगे कहते हैं कि उन्होंने तो भीषण सर्दी में गगनचुंबी कैलाश पर्वत पर बादलों को तूफानी हवाओं से गरज-गरज कर टकराते हुए देखा है।
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