1. बच्चों में किन-किन बातों को लेकर हीन भावना पनपती है?
जीने की कला
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हीन भावना सफलता और सम्मान के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है। यह व्यक्तित्व में बचपन से ही पनपती है और विकसित होते-होते सफलता के द्वार बंद कर देती है। बच्चे हीन भावना से उस समय ग्रस्त होते हैं, जब उन्हें बार-बार उनकी कमी का अहसास कराया जाता है। माता-पिता अक्सर बच्चे को डांटते या मारते समय बच्चे में इस भावना को भर देते हैं। ओमराम मिखाइल एवॉनहॉव कहते हैं कि ‘एक बच्चे को दंड देते समय, अपनी आंखों की अभिव्यक्ति के बारे में बहुत ही सावधान रहें। आप उसकी ओर क्रोध के साथ या शत्रुता का भाव लिए या किसी अन्य नकारात्मक भावना के साथ कभी न देखें, क्योंकि मार को तो वह बहुत जल्दी भूल जाता है, किंतु आपकी उस अभिव्यक्ति को कभी नहीं भूलता।’
ऐसी नकारात्मक अभिव्यक्तियां बच्चे को हीनता से ग्रस्त कर देती हैं। अक्सर माता-पिता अन्य बच्चों के उदाहरण देकर उन्हें भी उस ओर मोड़ने को प्रेरित करते हैं, जिसमें उनकी रुचि न के बराबर है। बच्चे को उनके नैसर्गिक रूप व गुणों के अनुसार ही पालना चाहिए।
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हीन भावना सफलता और सम्मान के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है। यह व्यक्तित्व में बचपन से ही पनपती है और विकसित होते-होते सफलता के द्वार बंद कर देती है। बच्चे हीन भावना से उस समय ग्रस्त होते हैं, जब उन्हें बार-बार उनकी कमी का अहसास कराया जाता है। माता-पिता अक्सर बच्चे को डांटते या मारते समय बच्चे में इस भावना को भर देते हैं। ओमराम मिखाइल एवॉनहॉव कहते हैं कि ‘एक बच्चे को दंड देते समय, अपनी आंखों की अभिव्यक्ति के बारे में बहुत ही सावधान रहें। आप उसकी ओर क्रोध के साथ या शत्रुता का भाव लिए या किसी अन्य नकारात्मक भावना के साथ कभी न देखें, क्योंकि मार को तो वह बहुत जल्दी भूल जाता है, किंतु आपकी उस अभिव्यक्ति को कभी नहीं भूलता।’
ऐसी नकारात्मक अभिव्यक्तियां बच्चे को हीनता से ग्रस्त कर देती हैं। अक्सर माता-पिता अन्य बच्चों के उदाहरण देकर उन्हें भी उस ओर मोड़ने को प्रेरित करते हैं, जिसमें उनकी रुचि न के बराबर है। बच्चे को उनके नैसर्गिक रूप व गुणों के अनुसार ही पालना चाहिए।