Hindi, asked by pritiqueen, 9 months ago

1) "भोलाराम का जीव' हरिशंकर परसाई जी
का व्यंग्य है।" इस व्यंग्य के उद्देश्य और
नैतिकता का विस्तार से आलोचना कीजिए।​

Answers

Answered by Amrita0000
3

Answer:

भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के चरित्र को समझ सकेंगे;

नौकरशाही में बढ़ते भ्रष्टाचार के शिकंजे में आम आदमी की अवस्था कितनी असहाय और दयनीय हो जाती है, को रेखांकित कर सकेंगे;

परसाई जी की रचनाओं का उद्देश्य और सामाजिक परिवर्तन में इनकी भूमिका का विवेचन कर सकेंगे;

भ्रष्ट नौकरशाही की विसंगतियाँ, उसकी विरूपता और अमानवीय प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाल सकेंगे;

परसाई जी द्वारा प्रयुक्त व्यंग्यात्मक शैली की विशेषताओं और इसकी सामाजिक परिवर्तन में विशिष्ट भूमिका के मूल्याकंन कर सकेंगे;

व्यंग्य के सटिक प्रयोग द्वारा भ्रष्ट नौकरशाही की विरुपता को उजागर करने में कहानी की सफलता-असफलता पर आलोचनात्मक टिप्पणी कर सकेंगे।

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