Hindi, asked by chandrabhansoni8435, 8 months ago


1. भारत में पंचायती राज व्यवस्था पर निबन्ध​

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Answered by k46112057
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भारत में प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को लोकतंत्र की नींव के रूप में पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा विभिन्न राज्यों के ग्राम प्रधानों के साथ पंचायती राज के महत्त्व व कोरोना वायरस के रोकथाम में पंचायतों की भूमिका पर चर्चा की गई। पंचायती राज व्यवस्था का विहंगावलोकन करने से ज्ञात होता है कि 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाए जाने का कारण 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से प्रभाव में आया था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और कोई भी देश, राज्य या संस्था सही मायने में लोकतांत्रिक तभी मानी जा सकती है जब शक्तियों का उपयुक्त विकेंद्रीकरण हो एवं विकास का प्रवाह ऊपरी स्तर से निचले स्तर की ओर होने के बजाय निचले स्तर से ऊपरी स्तर की ओर हो।

पंचायती राज व्यवस्था में विकास का प्रवाह निचले स्तर से ऊपरी स्तर की ओर करने के लिये वर्ष 2004 में पंचायती राज को अलग मंत्रालय का दर्ज़ा दिया गया। भारत में पंचायती राज के गठन व उसे सशक्त करने की अवधारणा महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित है। गांधी जी के शब्दों में-

“सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गाँव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है।”

इस आलेख में पंचायती राज व्यवस्था की त्रि-स्तरीय संरचना, उसकी पृष्ठभूमि, विभिन्न समितियाँ तथा लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और पंचायतों के संदर्भ में गांधी दर्शन की उपयोगिता समझने का प्रयास किया जाएगा।

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