1. भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण
(Language, Dialect, Script and Grammar)
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Step-by-step explanation:
हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए रूढ़ अर्थों में जो ध्वनि संकेतों की व्यवस्था प्रयोग में लायी जाती है उसे भाषा कहते हैं। अथार्त जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढकर ग्रहण करते हैं उसे भाषा कहते हैं।
मनुष्य एक समाज में रहने वाला प्राणी है। वह अपने विचारों , भावनाओं को बोलकर ही व्यक्त करता है। भाषा को ध्वनि संकेतों की व्यवस्था माना जाता है। यह मनुष्य के मुंह से निकली हुई अभिव्यक्ति होती है | इसे विचारों के आदान प्रदान का एक आसान साधन माना जाता हैं | इसके शब्द प्राय: रूढ़ होते हैं।
हम पृथ्वी पर जिन्दा हैं। हमारा भी एक अस्तित्व है। इसको किस प्रकार बताया जायेगा ? मैं कौन हूँ जब ये बात मानव के दिमाग में आई तो वह अपने चारों ओर देखने लगा उसके चारों ओर उसके जैसे बहुत से व्यक्ति थे। सब लोगों में हाव -भाव से परिचय हुआ। अचानक अस्फुट ध्वनि निकली उनमे सुधार हुए।
नयी ध्वनि निकली उनसे और वर्ण बने। वर्णों को जोड़ा गया जिससे शब्द बने और शब्दों को जोड़ने पर पद बने तथा पदों को जोड़ने पर वाक्य बने फिर इसी तरह से भाषा का विकास हुआ। भाषा शब्द को संस्कृत की ‘ भाष ‘ धातु से लिया गया है जिसका अर्थ होता है बोलना।
संस्कृत भाषा को हिंदी भाषा की जननी माना जाता है। हमें पता है कि भाषा का लिखित आज भी संस्कृत में पाया जा सकता है। लेकिन मौखिक रूप मुख से घिस घिसकर अपना स्वरूप खो चुके हैं आज हम उन्हें तद्भव शब्दों के रूप में जानते हैं। हिंदी भाषा को अपने अस्तित्व में आने के लिए बहुत समय लग गया है। पहले संस्कृत से पालि , पालि से प्राकृत , प्राकृत से अपभ्रंश तब अपभ्रंश से हिंदी भाषा का विकास हुआ है