1. भाषाई कौशल के प्रकार लिखिए।
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hii
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भाषा:- भाषा हमारे जीवन का अति महत्वपूर्ण अंग होती है। हर व्यक्ति को अपने विचार और भावों की अभिव्यक्ति के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है और भाषा इसके लिए सबसे सार्थक माध्यम होता है। परन्तु अपने विचारों को सही से अभिव्यक्त करने हेतु कुछ कौशल होते हैं, जिनके सही इस्तेमाल से ही व्यक्ति अपने विचारों या भावों को सही अर्थ में सही रूप से किसी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
भाषा कौशल हमारे व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है और एक योग्यता प्रदान करता है, जो हमें दुसरे व्यक्तियों से भिन्न बना सकती है। इसके द्वारा एक साधारण से विचार को भी व्यक्ति उत्तम शब्दावली एवं सही लय और प्रवाह के इस्तेमाल से बहुत प्रभावशाली बना सकता है।
एक विद्यार्थी में भाषा कौशल के विकास हेतु विद्यार्थी और शिक्षक दोनों की भूमिका सामान रूप से महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक को बहुत ध्यान से विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार शिक्षण विधि का एवं विभिन्न युक्तियों का प्रयोग करना चाहिए और स्वयं के भाषा प्रयोग पर भी बहुत ध्यान देना चाहिए। इसका कारण है कि भाषा कि कक्षा में अधिकार बच्चे शिक्षक का ही अनुकरण कर सीखने का सबसे ज़्यादा प्रयास करते हैं।साथ ही शिक्षण को शिक्षण के हर स्तर पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते रहना होता है और मूल्यांकन हेतु सही मापदंड इस्तेमाल करने होते हैं, जिससे पता चल सके कि बच्चे का भाषा कौशल किस स्तर पर है, कहाँ सुधार और कहाँ प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
"भाषा कौशल का वर्गीकरण"
1. ग्रहणात्मक कौशल ऐसे कौशल जिन्हे ग्रहण किया जाता है। श्रवण (सुनना) कौशल
पठन (पढ़ना) कौशल
2. अभिव्यक्तात्मक कौशल
जिनका प्रयोग अपने विचारों, भावों आदि की अभिव्यक्ति के लिए किया जाता है।
वाचन (बोलना) कौशल
लेखन (लिखना) कौशल
भाषायी कुशलता का सम्बन्ध भाषा के चार कौशलों से हैं - श्रवण (सुनना), वाचन (बोलना), पठन (पढ़ना) और लेखन (लिखना)। इनका सही वर्गीकरण दो प्रकार से होता है - ग्रहणात्मक एवं अभिव्यक्तात्मक भाषायी कौशल। इन दोनों कौशलों की सार्थकता सम्प्रेषण (बातचीत) की पूर्णता अर्थात भाव विचार ग्रहण एवं भाव विचार प्रकाशन में होती है।श्रवण और पठन ग्रहणात्मक कौशल के अंतर्गत आते हैं। अर्थात ऐसे कौशल जिन्हे ग्रहण किया जाता है। वाचन एवं लेखन अभिव्यक्तात्मक कौशल के अंतर्गत आते हैं, जिनका प्रयोग अपने विचारों, भावों आदि की अभिव्यक्ति के लिए किया जाता है।ये सभी कौशल हमारे व्यावहारिक जीवन का अभिन्न अंग हैं। इन सभी कौशलों का विकास एक-एक करके स्वाभाविक रूप से भी होता है एवं सही शिक्षण व् मूल्यांकन द्वारा भी किया जाता है। भाषा कौशल की यह अधिगम प्रक्रिया बच्चे के जन्म से ही शुरू हो जाती है, जब वह दूसरों को सुनना शुरू करता है।