1. भाषा के भेद लिखित
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Explanation:
भाषा के तीन भेद होते हैं- 1. कथित भाषा 2. लिखित भाषा 3. सांकेतिक भाषा
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भाषा के तीन भेद होते हैं- 1. कथित भाषा 2. लिखित भाषा 3. सांकेतिक भाषा
Explanation:
भाषा (Bhasha)
भाषा शब्द का निर्माण संस्कृत की ‘भाष’ धातु से हुआ है . इस धातु का अर्थ है, वाणी की अभिव्यक्ति .
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . वह समाज में अपने विचारों को दूसरे मनुष्यों पर प्रकट करता है तथा उनके विचारों को सुनता है और उन विचारों को वह समझने का प्रयत्न करता है . इसके लिए उसे शब्दों का सहारा लेना पड़ता है, शब्दों की रचना करनी पड़ती है . संसार में बहुत प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं.
भाषा क्या है ? (Bhasha Kya Hai)
इससे स्पष्ट होता है कि भाषा सामाजिक मनुष्यों के बीच भाव तथा विचारों के पारस्परिक आदान-प्रदान का एक सार्थक माध्यम है .
भाषा की परिभाषा (Bhasha Ki Paribhasha In Hindi)
शब्दों का वह समूह जिनके द्वारा हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं , उसे भाषा कहते है.
संसार में अनेक भाषाएं हैं , उदाहरण(bhasha ke udaharan)- हिंदी, उर्दू, फ्रेंच, जर्मन, आदि .
अथवा
भाषा मनुष्यों की चेष्टा या व्यापार को कहते हैं, जिसमें मनुष्य अपने उच्चारण-उपयोगी शरीर-अवयवों से उच्चरित किए गए वर्णनात्मक या व्यक्त शब्दों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं – डॉक्टर मंगल देव शास्त्री
भाषा की परिभाषा तो आपको समझ में आ गया ही होगा, चलिए अब भाषा के प्रकार को समझते हैं .
भाषा के कितने भेद होते हैं (Bhasha Ke Bhed)
भाषा के तीन भेद होते हैं- 1. कथित भाषा 2.लिखित भाषा 3.सांकेतिक भाषा .
भाषा जिसे हम बोल कर, लिख कर अथवा संकेत के रूप में अपने विचार को प्रकट करते हैं
1.मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Ki Paribhasha)-
भाषा का जो रूप मुंह से बोला तथा कानों से सुना जाता है वह मौखिक भाषा कहलाती है .इसे कथित भाषा भी कहा जाता है .
उदाहरण (maukhik bhasha ke udaharan)– जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता है . या जब आप किसी से मोबाइल पर बात करते हैं तो वहां मौखिक भाषा का प्रयोग होता है
2.लिखित भाषा (Likhit Bhasha Ki Paribhasha)-
भाषा का जो रूप हाथों से लिखा तथा आंखों से देखा और पढ़ा जाता है लिखित भाषा कहलाती है . यही भाषा का वास्तविक रूप है .
लिखित भाषा से ज्ञान का संचय किया जाता है जिससे कोई भी जानकारी को लिखित रूप देकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है.
उदाहरण (likhit bhasha ke udaharan)– जब class में अध्यापक बच्चों को पढ़ाते समय अपने विचारों को लिखकर समझाता है तो वह लिखित भाषा का प्रयोग करता है या आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं तो यहां भी लिखित भाषा का ही प्रयोग हुआ है .
3.सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Ki Paribhasha)-
जिस भाषा में केवल ‘संकेतों अथवा चिन्हों’ का प्रयोग करके दूसरे व्यक्ति को समझाया जाता है ,वह सांकेतिक भाषा कहलाती है .
इस भाषा में बिना ध्वनि अंगों के प्रयोग के, शरीर के विभिन्न अंगों (हाथ, चेहरा, गर्दन आदि) के माध्यम से अपने विचारों को एक विशेष संकेतों के रूप में दूसरों को समझाया जाता है .