1. भाषा के लिखित रूप के महत्व एवं आवश्यकता पर प्रकाश डालिए|
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भाषा स्वरूप में मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक हो सकती है| वर्तमान में भाषा का लिखित स्वरूप न सिर्फ महत्वपूर्ण है अपितु आवश्यक भी| फिर चाहे किसी को संदेश देना हो या किसी से संदेश प्राप्त करना| हम यह जानते हैं की शुरुआती चरण में विचारों के आदान प्रदान हेतु भाषा का मौखिक स्वरूप ही विद्यमान था किंतु टेलीफ़ोन के अविष्कार से पहले मौखिक भाषा केवल एक ही स्थान पर उपस्थित दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य कारगर थी किंतु जब कोई सूचना किसी दूर-दराज व्यक्ति तक पंहुचानी होती तब यह ऐसा प्रतीत होता मानो खाने के लिए मुँह तो है किंतु निवाले को मुँह तक पंहुचाने हेतु हाथ नहीं | पत्र लेखन के दौर में भाषा के लिखित स्वरूप ने मानों वे हाथ दे दिये जिनसे उस अपाहिज रूपी अंजान व्यक्ति को निवाले रूपी विचार ग्रहण करने में अब कोई कठिनाई नहीं थी |
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