1) भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं ? वे अन्य रीतिकालीन कवियों से कैसे विशिष्ट हैं ?
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Answer:
भूषण रीतिकाल रीतिमुक्त धारा के कवि हैं। भूषण रीतिकालीन कवियों से अलग या विशिष्ट इस संदर्भ में हैं कि उन्होंने रीतिकालीन कविता जो शृंगारिक होती थी उससे अलग हटकर वीर काव्यों की रचना की।
Explanation:
महाकवि भूषण (१६१३ - १७१५) रीतिकाल के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं, अन्य दो कवि हैं बिहारी तथा शृंगार रस में रचना कर रहे थे, वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे अलग साबित किया। 'भूषण' की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने प्रदान की थी। ये मोरंग, कुमायूँ, श्रीनगर, जयपुर, जोधपुर, रीवाँ, छत्रपती शिवाजी महाराज और छत्रसाल आदि के आश्रय में रहे, परन्तु इनके पसंदीदा नरेश छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराजा छत्रसाल थे। भूषण प्रसांगिक है। उन्होंने केवल वीरता को ही नहीं बल्कि भारतीय परंपरा को भी अभिव्यक्त किया है। भूषण कवि ऐसे पहले देशभक्त हैं जिन्होंने उस समय की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर काव्य लिखा है भूषण कहते हैं कि जैसे इंद्र ने जंभासुर नामक राक्षस का वध किया और जल की अग्नि जल को नष्ट करती है और घमंडी रावण पर रघुकुल के राजा ने राज्य किया और जिस प्रकार पवन जल युक्त बादलों को उड़ा ले जाता है। और शिव शंभू ने रती के पति कामदेव को भस्म किया था तथा सहस्त्रबाहु अर्जुन को मारकर परशुराम ने विजय प्राप्त की तथा जिस प्रकार जंगल की अग्नि जंगल को जला देती है और चीता हीरणों के समूह पर और जंगल का राजा शेर हाथियों पर अपना अधिकार कायम रखता है और रोशनी अंधकार को समाप्त करती है जिस प्रकार कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध किया। ठीक उसी प्रकार मलेच्छवंश पर वीर शिवाजी महाराज शेर के समान है
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भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं ? वे अन्य रीतिकालीन कवियों से कैसे विशिष्ट हैं ?
भूषण रीतिकाल की श्रृंगार परक काव्य धारा के कवि रहे हैं। उन्होंने रीति काल में शृंगारिक कविताओं का सृजन किया और अपनी का काव्य रचनाओं के माध्यम से अलंकारिकता का प्रयोग अपनी कविताओं में बहुत अधिक किया है।
भूषण अन्य रीतिकालीन कवियों से विशिष्ट इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने रीति निरूपण में श्रंगारी कविताओं का सृजन कर के अलंकारों का प्रयोग बेहद कुशलता से किया है। वह श्रृंगार रस के आलंबन नायक नायिकाओं के भेद भेदों के निरूपक रीति काव्य परंपरा के कवि रहे हैं। उन्हें अलंकारिक नीति निरूपक के रूप में ख्याति प्राप्त थी।
भूषण अन्य कवियों से इसलिए विशिष्ट हैं क्योंकि अलंकारों का जितना अधिक प्रयोग उन्होंने किया है उतना किसी भी अन्य कवि ने नहीं किया है।
अपनी रचना शिवराज भूषण में उन्होंने 105 अलंकारों का प्रयोग किया है यह एक अद्भुत प्रयोग है। इसी कारण भूषण रीतिकालीन अन्य कवियों से विशिष्ट रहे हैं।
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