Hindi, asked by neetubala78, 2 months ago

1 बसंती हवा
पाठ परिचय : बसंत के आगमन पर मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी प्रसन्नता से झूम उठते हैं। ऐसे में हवा भी मनी
में आ गई है। कवि ने हवा की मस्ती, उसकी बेफ़िक्री, शरारतीपन और उसकी निडरता का वर्णन किया है।
: मस्ती करते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
जीवन मूल्य : हमें हर मौसम का पूरा आनंद उठाना चाहिए।
जरा सोचें
हवा हूँ, हवा मैं
बसंती हवा हूँ!
सुनो बात मेरी-
अनोखी हवा हूँ!
बड़ी बावली हूँ,
बड़ी मस्तमौला।
नहीं कुछ फ़िकर है,
बड़ी ही निडर हूँ।
जिधर चाहती हूँ,
उधर घूमती हूँ,
मुसाफ़िर अजब हूँ!
न घर-बार मेरा,
न उद्देश्य मेरा,
न इच्छा किसी की,
न आशा किसी की,
न प्रेमी, न दुश्मन,
जिधर चाहती हूँ,
उधर घूमती हूँ!
हवा हूँ, हवा मैं,
बसंती हवा हूँ!
जहाँ से चली मैं,
जहाँ को गई मैं-
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वसंती हवा 10​

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Answered by AKASHIT
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I don't know about this question brother and sister

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