1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और कई मकान तो ऐसे सजाये गए थे कि ऐसा मालूम होता था कि मानो स्वतंत्रता मिल गए हो। कलकत्ते के प्रत्येक भागो में झंडे लगाए गए थे। जिस रास्ते से मनुष्य जाते थे उसी रास्ते से उत्साह और नवीनता मालूम होती थी। लोगों का कहना था कि ऐसी सजावट पहले नहीं हुए। पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी। मोटर लारियों में गोरखे तथा सार्जेंट प्रत्येक मोड़ पर तैनात थे। कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थी। घुड़सवारों का प्रबंध था। कही भी ट्रैफिक पुलिस नहीं थी, सारी पुलिस को इसी काम में लगाया गया था। बड़े बड़े पार्को और मैदानों को पुलिस ने सवेरे से ही घेर लिया था। इस पाठ के लेखक का नाम है ?
(1 Point)
लीलाधर मंडलोई
प्रेमचंद
सीताराम सेकसरिया
हबीब तनवीर
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प्रेमचंद ने बड़े बाजार के छत पर है ने झंडा फहराया था
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