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(1) चिन्तन के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है, वही भावना के क्षेत्र में है। (रहस्यवाद/छायावाद)
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चिंतन के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है वही भावना के क्षेत्र में रहस्यवाद है
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भावना के क्षेत्र वह रहस्यवाद है।
हिंदी कविता में रहस्यवाद का काल निर्धारण करना कठिन है क्योंकि रहस्यवाद की सृष्टि के आरंभ से ही कवितायों को प्रिय रहा है। वेदों में ऊषा में सरिता आदि के वर्णन में अव्यक्त परमात्मा के स्वरूप को लक्ष्य किया गया है यह प्रकृति और जगत की ही रहस्यमय है कण-कण में परमात्मा में होने का आभास ही रहस्यवाद है ।
अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम : इसी युग की कविताओं में अलौकिक सत्ता के प्रति जिज्ञासा प्रेम व आकर्षण के भाव व्यक्त हुए हैं |
- रहस्यवाद की विशेषता:-
- परमात्मा में विरह-विरहिणी का भाव आत्मा को परमात्मा की विरहिणी मानते हुए उससे विरह व मिलन के भाव व्यक्त किए गए हैं।
- जिज्ञासा की भावन सृष्टि के समस्त क्रिया तथा अदृश्य ईश्वरीय सत्ता के प्रति जिज्ञासा के भाव प्रकट किए गए हैं।
- प्रतिको का प्रयोग प्रतिको के माध्यम से भावाभिव्यक्ति की गई है।
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