1) 'चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय, दुयै पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। पक्ति न
युक्त रस का नाम बताइए।
का नाम बताइए।
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चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये ।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ।
भावार्थ: चलती चक्की को देखकर कबीर दास जी के आँसू निकल आते हैं और वो कहते हैं कि चक्की के पाटों के बीच में कुछ साबुत नहीं बचता।
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चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय, दुयै पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। इस पंक्ति में करुण रस है।
- यह पंक्तियां संत कबीर के दोहे से ली गई है। इन पंक्तियों में कबीर जी कहते है कि चलती हुई चक्की को देखकर मुझे दुख होता है क्योंकि हम मनुष्य माया रूपी जगत के मोह में फंसे हुए है। चक्की के दो पाटों में पिसते चके जा रहे है। इस चक्की के पाटों में पिसने से कोई भी नही बचा है। हमें मोह माया त्याग कर संसार रूपी सागर से पार उतरने के लिए प्रभु भक्ति मेंकीन होना होगा।
- जब काव्य रचना को पढ़ने से किसी प्रकार का दुख या पीड़ा से संबंधित अनुभूति होती है तो उस काव्य में करूण रस होता है।
- कोई प्रिय वस्तु छीन जाए , या किसी इष्ट वस्तु का नाश हो तो उससे जो दुख की अनुभूति होती है उसे शोक कहा जाता है।
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