1. छोटे उद्योगों के किन्ही चार प्रकारों का उल्लेख कर उनकी व्याख्या कीजिए ।
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१) भारी मात्रा में उत्पादन (मॉस प्रोडक्सन) उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिये स्वतः-चालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है।
२) कार्य का विभाजन (डिविजन ऑफ् लेबर) उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं जबकि परम्परागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता था/है। इतना ही नहीं, एक ही काम (जैसे उत्पादन) को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में बांट दिया जाता है।
दुकान, दर्जी की दुकान, रेस्टोरेन्ट, हलवाई की दुकान, बिस्किट एवं ब्रेड की दुकान, व्यूटी सेलून, आदि अपने स्थानीय बाजार में चला सकते हैं। दूसरे शब्दों में, आप छोटे पैमाने पर विनिर्माणक एवं क्रय विक्रय का कार्य कर सकते हैं या मूल्य के बदले कुछ सेवाएं भी दे सकते हैं। इस प्रकार की आर्थिक क्रियायें स्वरोजगार कहलाती हैं।