1.डॉ.कलाम ने अपनी कक्षा की यादगार घटना सु
नाई|
चौथी सातवीीं छठी पाींचवी
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डॉ कलाम ने एक बार बच्चों को अपने बचपन की एक घटना बताई थी। उन्होंने बच्चों से कहा कि - जब मैं छोटा बच्चा था तब रोज मेरी मां हम सब के लिए खाना बनाया करती थी। एक रात की बात है, मां ने सब्जी-रोटी बनाई और पिताजी को परोस दी । मैंने देखा रोटी बिलकुल जली हुई थी। मैं ये सोच रहा था कि किसी ने ये बात नोटिस की या नहीं। मेरे पिता ने वो रोटी बिना कुछ कहे प्रेम से खा ली और मुझसे पूछा - बेटा आज स्कूल का दिन कैसा रहा?
मुझे याद है कि मेरी मां ने उस दिन जली रोटी बनाने के लिए पिताजी से माफी मांगी थी। जिस पर पिताजी ने हंसते हुए कहा था। चिंता मत करो - मुझे जाली रोटियां भी पसंद हैं।
बाद में जब मैंने पिताजी से पूछा - क्या आपको जाली रोटियां सच में पसंद हैं। तब पिताजी ने ना में सर हिलाते हुए कहा – एक जली हुई रोटी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती, लेकिन जले हुए शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं।
डॉ. कलाम की ये बातें भी हमेशा ध्यान रखें
> जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार और मेहनती हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है, क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
> दूसरों का आशीर्वाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बड़ों का और शिक्षकों का आदर करो। अपने देश से प्रेम करो। इनके बिना जीवन अर्थहीन है।
> देना सबसे उच्च और श्रेष्ठ गुण है, लेकिन उसे पूर्णता देने के लिए उसके साथ क्षमा भी होनी चाहिए।
> सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
> सपने देखना जरूरी है, लेकिन सपने देखकर ही उसे हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज्यादा जरूरी है कि जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना।