1. एक कामकाजी बच्चे का साक्षात्कार लें और अपनी हिंदी की कॉपी में लिखें।
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कामकाजी महिलाओं को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है- घरेलू एवं बाह्य। अर्थात् उन्हें अपने घर-परिवार, रिश्ते-नाते के साथ-साथ ऑफिस सबको ठीक से चलाना पड़ता है और इन सबमें प्रमुख है दोनों के बीच संतुलन, क्योंकि किसी एक पक्ष को गलती से भी इग्नोर करने पर जीवन की गाड़ी डगमगाने लगती है।
आजादी के बाद नारी शिक्षा की स्थिति में सुधार के कारण उच्च मध्यवर्गीय के साथ-साथ आम शहरी मध्यवर्गीय परिवारों की नारियाँ भी शिक्षित हुई और उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश की। कई महिलाओं ने उसमें सफलता भी प्राप्त की, लेकिन पितृवादी सोच हमेशा उनके आड़े आती है, जो उनकी परेशानियों का कारण बनती है। घर के बाहर की समस्या ऑफिस में अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम। फलतः वे पूरी तरह से सहज नहीं हो पाती हैं।
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