1. Elaboremos un diagrama de cuerpo libre Esteban mueve un carro tirándolo de una
cuerda tal como se muestra en la imagen. Mediante un diagrama de cuerpo libre,
dibuja las fuerzas que actúan sobre el carro.
¿Qué efectos provoca la fuerza neta sobre el carro?
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Baat Aathanni Ki (Sahitya Sagar)
ICSE Class 10 Saaransh Lekhan Baat Aathanni Ki (Sahitya Sagar)
Baat Aathanni Ki Synopsis
सारांश
प्रस्तुत कहानी में समाज में व्याप्त रिश्वतखोरी की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। इस कहानी द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि अमीर वर्ग चाहे कितनी भी रिश्वत क्यों न ले लें वह कभी पकड़ा नहीं जाता। उसके विपरीत यदि एक गरीब व्यक्ति केवल अठन्नी की चोरी करता है तो उसे बड़ा अपराधी करार कर दिया जाता है।
कहानी का सार इस प्रकार है-
रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर था। वह सालों से इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकर था। उसे दस रूपए वेतन मिलता था। गाँव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था। इसी कारण वह बार-बार अपने मालिक इंजीनियर बाबू जगतसिंह से अपना वेतन बढ़ाने की प्रार्थना करता था। “परंतु हर बार इंजीनियर साहब का यही जवाब होता था कि वे रसीला की तनख्वाह नहीं बढ़ाएँगे यदि उसे यहाँ से ज्यादा और कोई तनख्वाह देता है तो वह बेशक जा सकता है। रसीला बार-बार अपने मालिक से तनख्वाह बढ़ाने की माँग करता था और हर बार उसकी माँग ठुकरा दी जाती थी परंतु इस सबके बावजूद रसीला यह नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अमीर लोग किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। यहाँ पर रसीला सालों से नौकरी कर रहा था और कभी किसी ने उस पर संदेह नहीं किया था। दूसरी जगह भले उसे यहाँ से ज्यादा तनख्वाह मिले पर इस घर जैसा आदर नहीं मिलेगा।
रसीला का उनके ही पड़ोस में रहने वाले ज़िला मजिस्ट्रेट शेख साहब के चौकीदार रमजान से गहरी दोस्ती थी। दोनों आपस में अपना सुख-दुःख बाँट लिया करते थे।
एक दिन रमजान ने रसीला को बहुत ही उदास देखा। रमजान ने अपने मित्र रसीला की उदासी का कारण जानना चाहा परंतु रसीला उससे छिपाता रहा तब रमजान ने उसकी उदासी का कारण जानने के लिए उसे सौगंध खाने के लिए कहा।
तब रसीला ने बताया कि उसका परिवार गाँव में रहता था। उसके परिवार में बूढ़े पिता, पत्नी और तीन बच्चे थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था और रसीला को मासिक तनख्वाह मात्र दस रुपए मिलती थी पूरे पैसे भेजने के बाद भी घर का गुजारा नहीं हो पाता था। उसपर गाँव से ख़त आया था कि बच्चे बीमार है पैसे भेजो। रसीला के पास गाँव भेजने के लिए पैसे नहीं थे और यही उसकी उदासी का कारण था।
मियाँ रमजान ने रसीला की परेशानी का यह हल सुझाया कि वह सालों से अपने मालिक के यहाँ काम कर रहा है तो वह अपने मालिक से कुछ रुपए पेशगी के क्यों नहीं माँग लेता। रसीला रमजान को बताता है कि उसने माँगे थे पर उसके मालिक ने रुपये देने से मना कर दिया। रमजान से अपने दोस्त की परेशानी देखि नहीं जाती और वह पाँच रुपये रसीला के हाथ पर रख देता है।
रसीला ने धीरे-धीरे रमजान के साढ़े चार रुपयों का ऋण चुका दिया था अब केवल अठन्नी बाकी रह गए थे।
एक दिन रसीला को अपने मालिक के रिश्वत लेने की बात का पता चलता है रसीला ने जब रमजान को यह बात बताई कि उसके मालिक जगत सिंह ने पाँच सौ रूपए की रिश्वत ली है। तो इस पर रमजान ने कहा यह तो कुछ भी नहीं उसके मालिक शेख साहब तो जगत सिंह के भी गुरु हैं, उन्होंने भी आज ही एक शिकार फाँसा है हजार से कम में शेख साहब नहीं मानेंगे। इस तरह दोनों के ही मालिक रिश्वतखोर थे।
रसीला वर्षों से इंजीनियर जगत सिंह का नौकर था। उसने कभी कोई बेईमानी नहीं की थी। परंतु इस बार भूलवश अपना अठन्नी का कर्ज चुकाने के लिए उसने
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